डामर उखड़ा, पुल जर्जर – मंडला से जबलपुर तक सफर बन गया खतरा.


Asphalt Torn, Bridges Crumbling – Journey from Mandla to Jabalpur Turns Into a Danger Zone.
Special Correspondent, Mandla, MP Samwad.
NH-30 between Mandla and Jabalpur is in a dangerous state. Crumbling bridges, pothole-ridden roads, and missing traffic signs have turned the highway into a death trap. Accidents are on the rise, exposing the sheer negligence of the authorities.
MP संवाद, मंडला से जबलपुर के बीच नेशनल हाईवे-30 पर सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। हाईवे पर रोज़ कहीं न कहीं हादसे हो रहे हैं, जिसकी वजह है खराब गुणवत्ता वाला मार्ग निर्माण और पुलों की जर्जर स्थिति। मार्ग तो खुद ही हादसों को आमंत्रण दे रहे हैं, वहीं इस मार्ग पर स्थित सभी पुल भी बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं।
पुलों की रेलिंग कमजोर हो चुकी है, कई जगह पुल की सतह पर गड्ढे बन गए हैं जो दुर्घटना को न्यौता दे रहे हैं। बालई पुल में हाल ही में हादसा हुआ, इसके बावजूद कोई सुधार कार्य नहीं किया गया है। कभी भी बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है।
पुलों की अनदेखी बनी खतरे की जड़
हाईवे निर्माण की स्वीकृति के समय एमपीआरडीसी द्वारा बनाए गए इस्टीमेट में पुराने पुलों को शामिल नहीं किया गया था। फूलसागर, बबैहा, लालीपुर, बालई और हिंगना पुलों को नए सिरे से नहीं बनाया गया। इनमें केवल मरम्मत के नाम पर लीपापोती की जा रही है।
पुलों की दीवारें टूट चुकी हैं, किनारों पर मिट्टी जमा है, और कई जगह सरिया (छड़ें) बाहर निकल चुकी हैं। समय रहते यदि इनकी जगह नए पुल बनाए जाते हैं, तो भविष्य में कई जानलेवा दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं।
डामरीकरण की दुर्गति और टूटती उम्मीदें
केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के विशेषज्ञों ने इस सड़क की दरारों को सुधारने के बजाय पूरी सड़क को अपग्रेड कर डामरीकरण करने की सलाह दी थी। इसके बाद बरेला से मंडला सीमा तक 63 किलोमीटर की सड़क पर डामरीकरण किया गया, जिसे कांबोग्लास ग्रिड मैथड से सुधारा गया था।
परंतु इस बार की बारिश ने सभी दावों की पोल खोल दी। जगह-जगह डामर उखड़ गया है और गड्ढे बन गए हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा एक बार फिर से बढ़ गया है। लोगों ने शीघ्र सड़क की मरम्मत की मांग की है।
हाइवे पर ट्रैफिक संकेतकों की कमी.
हाईवे पर डिवाइडर नहीं हैं, ज़ेब्रा क्रॉसिंग नहीं है, ट्रैफिक संकेतक नहीं लगे हैं। दोनों ओर से आने-जाने वाले वाहन आमने-सामने आ जाते हैं, जिससे राहगीरों के लिए सड़क पार करना मुश्किल हो गया है। कई बार ड्राइवरों को यह भी नहीं समझ आता कि वे किस दिशा में हैं।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि हाईवे पर जल्द से जल्द डिवाइडर, ज़ेब्रा क्रॉसिंग और संकेतक चिन्ह लगाए जाएं ताकि जानलेवा हादसों पर लगाम लग सके।


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