

PM Awas Yojana 2.0 Scam! 51 Houses Built on Paper, Missing on the Ground!
Special Correspondent, Betul, MP Samwad.
MP संवाद, बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर शाहपुर ब्लॉक के पावर झंडा गांव में वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 250 आवास स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 51 आवास ग्रामीणों को नहीं मिले। कारण? जिले के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने पीएम आवास योजना में घोटाला कर दिया। हालांकि आरोपी जेल की सलाखों के पीछे हैं, लेकिन भ्रष्टाचार का खामियाजा आज भी ग्रामीण भुगत रहे हैं।
चाहे कच्चे मकान की देहरी पर बैठी रामकली हों या फिर पति के साथ कागजात खंगालती ममता बाई विश्वकर्मा—पावर झंडा गांव के ऐसे 51 हितग्राही हैं, जिनके नाम पर आवास स्वीकृत हुए, मगर आज तक उन्हें एक ईंट तक नसीब नहीं हुई।
“अम्मा, तुम्हारा मकान कहाँ है?” – पुलिस की पूछताछ ने खोली पोल
रामकली बाई सादगी से कहती हैं, “हम पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन बाद में पता चला कि हमारा मकान किसी ने ‘खा’ लिया। जब पुलिस छानबीन करने आई और पूछा—’अम्मा, तुम्हारा मकान कहाँ है?’ तो हमने कहा—’हमारा मकान तो बना ही नहीं।'”
पुलिस ने बताया कि उनके मकान में कॉलोनी के 6 मजदूरों ने काम किया है। रामकली हैरान—“हमारा मकान बना ही नहीं, तो मजदूरों ने काम कहाँ किया?” आज भी वे अपने जर्जर झोपड़े में रहने को मजबूर हैं।
सर्वे में “पूर्ण निर्माण”, हकीकत में कच्ची दीवारें
ममता बाई और उनके बड़े बेटे के नाम पर दो आवास स्वीकृत हुए थे, लेकिन दोनों आज भी कच्चे झोपड़े में रह रहे हैं। ममता बताती हैं—“सर्वे में हमारा मकान पूरा बताया गया, लेकिन यहाँ तो कुछ भी नहीं बना। बड़े बेटे का भी घर नहीं मिला।”
भ्रष्टाचार का पर्दाफाश, मगर न्याय अधूरा
गाँव के जागरूक युवा रम्मू यादव जोमकी बताते हैं—“हमने शिकायत की, जांच हुई, और दोषी अधिकारी जेल भी गए। एक कंप्यूटर ऑपरेटर को नौकरी से निकाला गया, लेकिन पीड़ितों को आज तक न्याय नहीं मिला।”
सरकारी रिकॉर्ड इन्हें “लाभान्वित” दिखाता है, जिसकी वजह से वे दोबारा योजना का लाभ नहीं ले पा रहे। अब बारिश का मौसम आने वाला है, और इनकी मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं।
प्रशासन का बयान: “त्रुटियाँ सुधारी जा रही हैं”
प्रभारी सीओ अमित दुबे का कहना है—“250 आवासों में से 51 हितग्राहियों के खातों में त्रुटि थी या उन्हें मृत दिखाया गया। राशि का गबन हुआ। अब छूटे हुए लोगों को चिह्नित कर उन्हें आवास दिलाया जाएगा।”
आखिर कब तक इंतजार करेंगे पावर झंडा के ग्रामीण?
सवाल यह है कि क्या प्रशासन की यह “चिह्नित करने” की प्रक्रिया एक और साल ले लेगी, या इस बार ग्रामीणों को उनका हक मिलेगा?