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पन्ना में बीमारी का कहर: मौतों पर पर्दा डालता स्वास्थ्य विभाग.

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Five tribals died in Panna due to diarrhea, fever, contaminated water and lack of treatment, exposing health department negligence

Disease Outbreak in Panna: Health Department Covers Up Deaths.

Harishankar Parashar, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.

Five tribal villagers in Panna’s Bamhauri died within five days due to diarrhea, fever, and lack of timely treatment. The health department downplayed the deaths, exposing government negligence, contaminated water, and poor healthcare. Over a dozen villagers are still critically ill, demanding urgent accountability and stronger health facilities.

MP संवाद, पन्ना जिले की शाहनगर तहसील के अंतर्गत बम्हौरी ग्राम पंचायत की आदिवासी बस्ती में पिछले पांच दिनों से बीमारी का कहर जारी है। उल्टी-दस्त और तेज बुखार ने राधाबाई, सेवक आदिवासी (35), कंछेदी आदिवासी (58), उनकी बेटी मनीषा (15) और मुन्नी (मुन्ना) बाई (55) की जान ले ली। यह त्रासदी स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर करती है।


मौतों की संख्या छिपाने में जुटे अधिकारी

मामले में स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती साफ झलकती है। प्रभारी सीएमएचओ डॉ. राजेश तिवारी ने केवल दो मौतों की पुष्टि की, जबकि पवई के सीबीएमओ डॉ. प्रशांत सिंह भदोरिया ने चार मौतों की जानकारी दी और बाद में पांचवीं मौत की भी पुष्टि हुई। सवाल यह उठता है कि विभाग ने 25 अगस्त को पहली मौत के बाद कार्रवाई क्यों नहीं की?


अब भी बीमारियों से जूझ रहे दर्जनों लोग

बस्ती में डेढ़ दर्जन से अधिक लोग अभी भी गंभीर रूप से बीमार हैं। इन्हें दमोह के हटा सिविल अस्पताल, पटेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और हरदुआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। शुक्रवार सुबह स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची, चार बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया और एम्बुलेंस तैनात की गई। लेकिन यह कदम बहुत देर से उठाया गया।


दूषित पानी और बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं असली वजह

सीएमएचओ ने मौतों का कारण दूषित पानी, बासी भोजन और मछली खाना बताया, लेकिन असलियत सरकारी तंत्र की नाकामी है। स्वच्छ पेयजल की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति और समय पर इलाज न मिलना इस त्रासदी की जड़ है। यह घटना बताती है कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी बेहद बदहाल हैं।


यह घटना न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह सरकार और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता का भी उदाहरण है। जरूरत है कि सरकार तत्काल दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे और आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करे, ताकि भविष्य में मासूम जिंदगियां लापरवाही की भेंट न चढ़ें।

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