पैरों में पड़ी ज़िंदगी, और फाइलों में मौत – बुज़ुर्गों की करुण पुकार.


Life at their feet, death in the files – a heartbreaking plea of the elderly.
Special Correspondent, Panna, MP Samwad.
An elderly tribal couple in Panna fell at Minister Inder Singh Parmar’s feet, pleading for justice. Mistakenly declared dead in official records, their land was grabbed. Without documents or pensions, they suffer in silence. Bureaucratic apathy continues to haunt the voiceless. Their struggle demands urgent attention.
MP संवाद, पन्ना ज़िले के जंवार गांव में एक हृदयविदारक दृश्य उस समय सामने आया जब 78 वर्षीय भूरा आदिवासी और उनकी 75 वर्षीय पत्नी केशकली प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के पैरों में गिर पड़े। दंपत्ति ने रो-रोकर बताया कि उन्हें ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है और उनके घर और छह एकड़ ज़मीन पर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया है, जिसमें उनका बेटा भी शामिल है।
मंत्री ने दिलाया आश्वासन, पर राहत अधूरी
रविवार को उद्यानिकी विभाग के कार्यक्रम में पहुंचे मंत्री इंदर सिंह परमार ने बुज़ुर्गों को आश्वासन दिया कि मामला कलेक्टर तक पहुंचा दिया गया है और पटवारी के लौटने के बाद जांच की जाएगी।
मंत्री ने कहा:
“पटवारी अभी बीमार है, वह एक-दो दिन में आ जाएगा। उसके बाद कागज़ात निकलवाकर जमीन ढूंढी जाएगी।”
30 साल पहले कटनी गए, लौटे तो पहचान भी छिन गई
दंपत्ति ने बताया कि वे तीन दशक पहले काम की तलाश में कटनी चले गए थे। जब उनकी भतीजी उन्हें ढूंढकर वापस लाई तो पाया कि उनका घर कब्ज़ा हो चुका है और पंचायत रिकॉर्ड में वे मृत घोषित कर दिए गए हैं।
अब उनके पास न आधार कार्ड है, न वोटर आईडी, न वृद्धावस्था पेंशन।
उनकी भतीजी ने कहा कि वह पांच वर्षों से प्रशासन से गुहार लगा रही है, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
कार्यक्रम में मौजूद कलेक्टर सुरेश कुमार ने तत्काल ग्राम पंचायत सचिव (GRS) को निर्देश दिए कि दंपत्ति के सभी दस्तावेज़ जुटाकर उन्हें सौंपे जाएं।
कलेक्टर ने कहा:
“जब तक दस्तावेज़ नहीं देखूंगा, असली समस्या का पता नहीं चल सकता। उनके कागज़ात मंगवाए गए हैं।”
अब सवाल ये उठता है…
और क्या बुज़ुर्गों को जीवन के अंतिम वर्षों में इंसाफ मिलेगा या फिर एक और फाइल धूल खाती रह जाएगी? जब एक जीवित व्यक्ति को सरकारी रिकॉर्ड में मरा दिखाया जा सकता है, तो यह सिस्टम की कैसी क्रूरता है? क्या मंत्री का आश्वासन इस बार न्याय दिला पाएगा?