सफाई बना विरोध! दमोह के मोहास गांव में ग्रामीणों ने उठाया फावड़ा.


Cleanliness as Protest! Villagers of Mohas in Damoh Picked Up Shovels.
Special Correspondent, Damoh, MP Samwad.
Tired of government apathy, villagers in Mohas, Damoh, turned protest into action. Armed with shovels, they cleaned their filthy streets and drains themselves. Their collective effort wasn’t just about cleanliness—it was a silent rebellion against negligence. Villagers have warned of giving a strong reply in upcoming panchayat elections.
MP संवाद, दमोह, जहां एक ओर सरकारें गांवों के समग्र विकास के दावे कर रही हैं, वहीं दमोह जिले की मझोली पंचायत के मोहास गांव की सच्चाई इन दावों की पोल खोल रही है। बुनियादी सुविधाओं से वंचित ग्रामीणों ने अब खुद ही अपने हक के लिए मोर्चा खोल दिया है।
शनिवार को गांव की गंदगी और दुर्दशा से तंग आकर दर्जनों ग्रामीणों ने फावड़े उठाए और गांव की गलियों व नालियों की सफाई का जिम्मा खुद उठाया। पंचायत और प्रशासन की वर्षों से अनदेखी झेल रहे इन ग्रामीणों ने एकजुट होकर श्रमदान की मिसाल पेश की।
गांव की स्थिति बेहद खराब है—गली-मोहल्ले कच्चे, नालियों की महीनों से सफाई नहीं, और चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव से बार-बार शिकायतें की गईं, लेकिन केवल आश्वासन ही मिले। जब कोई सहायता नहीं मिली, तो उन्होंने “स्वच्छ मोहास – हमारा संकल्प” के तहत गांव को साफ करने की ठानी।
इस स्वैच्छिक श्रमदान ने न केवल गांव को राहत दी, बल्कि पंचायत चुनावों के लिए सख्त चेतावनी भी दी। ग्रामीणों का साफ कहना है कि अब वे उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेंगे, और जिम्मेदारों को चुनाव में जवाब देंगे।
ग्रामीणों का दो टूक संदेश: “अब और नहीं सहेंगे उपेक्षा”
इस अभियान में बुजुर्ग से लेकर युवा तक ने भाग लिया। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल सफाई नहीं, व्यवस्था के खिलाफ शांत लेकिन मजबूत विरोध है। अगर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाता, तो अब गांववाले खुद अपना हक लेना जानते हैं।