

Social workers demand urgent completion of unfinished government buildings in Mandla
Unfinished Government Buildings Exposed in Mandla, Social Workers Submitted a Memorandum to the Collector.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
Thousands of government buildings in Mandla remain unfinished for years. Social workers exposed the issue and submitted a memorandum to the collector, demanding immediate completion. The incomplete structures, despite significant public funds being spent, raise serious concerns over government inefficiency and resource mismanagement. Urgent action is needed.
मंडला, जिले के नौ विकासखंडों में विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा स्वीकृत हजारों भवन वर्षों से अधूरे पड़े हैं, जिससे जनता को मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस गंभीर समस्या को लेकर विगत दिवस दर्जनों समाजसेवियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए अधूरे भवनों को शीघ्र पूरा करने की मांग की।
जनहित में अधूरे भवनों को पूरा करने की मांग
जारी विज्ञप्ति के अनुसार, घुघरी जनपद कार्यालय परिसर में राजस्व विभाग के लिए स्वीकृत भवन भी अधूरा है। इसी प्रकार माधोपुर ग्राम पंचायत कार्यालय के समीप बना भवन और सैकड़ों आंगनवाड़ी भवन भी पूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आरटीआई से हुआ बड़ा खुलासा
समाजसेवी कन्हैया ठाकुर ने बताया कि आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिर्फ “राजीव गांधी शिक्षा मिशन” और “सर्व शिक्षा अभियान” के अंतर्गत स्वीकृत 1,000 से अधिक भवन अधूरे पड़े हैं। यह मामला वर्तमान में कलेक्टर के पास लंबित है। यदि अन्य विभागों की गणना की जाए, तो अधूरे भवनों की संख्या और भी अधिक हो सकती है।
शासन की राशि खर्च, लेकिन कार्य अधूरा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकांश अधूरे भवन 75% तक निर्मित हो चुके हैं। इन पर शासन द्वारा पर्याप्त राशि व्यय की जा चुकी है। यदि मात्र 25% कार्य और पूरा कर दिया जाए, तो ये भवन उपयोगी बन सकते हैं। समाजसेवियों ने मांग की कि यदि सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी प्रयास करें, तो इन अधूरे भवनों को शीघ्र पूर्ण किया जा सकता है।
बेमतलब के निर्माण कार्यों पर भी उठे सवाल
समाजसेवियों ने जिले में औचित्यहीन स्थानों पर बने स्टॉप डैम और पुलिया निर्माण को भी अनावश्यक सरकारी खर्च बताया। हाल ही में मंडला ब्लॉक के ग्राम सुभरिया में पहाड़ी क्षेत्र में 10.50 लाख रुपये की लागत से बने स्टॉप डैम का मामला सामने आया। यह निर्माण वाटर कैचमेंट एरिया में न होने के कारण पूरी तरह व्यर्थ हो गया।