

Protesting contract health workers sit on hunger strike demanding policy rights in Madhya Pradesh
Health Services Paralyzed in the State Due to Contract Health Workers’ Hunger Strike.
Special Correspondent, Betul, MP Samwad.
मध्यप्रदेश में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की भूख हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं। संविदा नीति 2023 के पूर्ण लाभ की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। मरीज परेशान हैं, सेवाएं बाधित हैं और सरकार की चुप्पी से हालात और गंभीर होते जा रहे हैं।
Health services across Madhya Pradesh have come to a standstill as contract health workers launch a hunger strike. Demanding full benefits under the 2023 policy, they protest government inaction. Patients are suffering, services disrupted, and tensions are rising as the government fails to respond with concrete solutions.
MP संवाद, बैतूल। प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर सोमवार से क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है। जिला मुख्यालय पर दो संविदा कर्मी भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जबकि अन्य कर्मचारियों को नैतिक समर्थन देने के बजाय तरबूज खाते हुए देखा गया, जिससे आंदोलन की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। यह आंदोलन भारतीय मजदूर संघ (भाजपा का अनुषांगिक संगठन) के बैनर तले चल रहा है, जिससे सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) द्वारा संविदा नीति 2023 का पूरा लाभ न दिए जाने और सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशों की अवहेलना के विरोध में 22 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे प्रदेशभर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा संकट
हड़ताल के चलते प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग ठप हो गई है। टीकाकरण अभियान, गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांचें, नवजात शिशु देखभाल केंद्र (एनआरसी) और स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
मरीजों को भारी परेशानियां
- एनसीडी (गैर-संचारी रोगों) के मरीजों की बीपी और शुगर जांच बंद है।
- टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों की जांच भी ठप पड़ी है।
- स्वास्थ्य शिविरों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर भी हड़ताल का व्यापक असर पड़ा है।
- मरीज और वृद्धजन सेवाओं के अभाव में बेहद परेशान हैं, जबकि प्रशासन और सरकार अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाल पाए हैं।