

Muddy roads and lack of facilities make life difficult for Chirahkhurd villagers in Gadarwara
Gadarwara: Neither Municipal Support Nor Panchayat Concern, Chirahkhurd Residents in Distress.
Rajneesh Kumar Kaurav, Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
Chirahkhurd residents in Gadarwara face severe hardships as neither the municipal body nor the panchayat provides essential services. Villagers struggle with muddy roads, lack of infrastructure, and administrative neglect. Despite being partially included in the municipal area, no significant development work has been done, leaving locals in distress.
गाडरवारा। नगर पालिका गाडरवारा के निरंजन वार्ड क्रमांक 20 से सटा ग्राम पंचायत कौड़ियां का एक हिस्सा, जिसे चिराहखुर्द के नाम से जाना जाता है, विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ है। चिराहखुर्द प्रशासनिक रूप से ग्राम पंचायत कौड़ियां का हिस्सा होने का दावा करता है, लेकिन नगर पालिका गाडरवारा यहां से राजस्व का लाभ प्राप्त कर रही है।
चिराहखुर्द: प्रशासनिक उलझन में फंसा गांव
चिराहखुर्द में 80 से 100 मतदाता निवास करते हैं, जिनमें से केवल 15-20 मतदाता ग्राम पंचायत कौड़ियां की मतदाता सूची में दर्ज हैं, जबकि शेष मतदाता नगर पालिका गाडरवारा की सूची में शामिल हैं। हालांकि, नगर पालिका से जुड़े होने के बावजूद, यहां के निवासियों को कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
- गड्ढों और कीचड़ से भरे रास्ते: चार महीनों तक कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना लोगों की मजबूरी बनी हुई है।
- बिजली-पानी की समस्या: विकास कार्यों में उपेक्षा से ग्रामीण परेशान हैं।
- प्रशासनिक उदासीनता: न ग्राम पंचायत और न ही नगर पालिका कोई ठोस कदम उठा रही है।
2014 से बदली तस्वीर, फिर भी हालात जस के तस
लगभग 2014 के बाद, चिराहखुर्द का लगभग 30% हिस्सा नगर पालिका गाडरवारा में शामिल हो गया। नगर पालिका ने आंशिक रूप से कुछ विकास कार्य किए, लेकिन ग्राम पंचायत कौड़ियां की ओर से अब तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।


मुख्य समस्या: कच्चा मार्ग, जो हर साल बन जाता है दलदल
गांव को कौड़ियां-गाडरवारा मार्ग से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता कच्चा है, जो बारिश के चार महीनों में पूरी तरह से बंद हो जाता है। इससे स्कूल जाने वाले बच्चों और ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि इस प्रशासनिक खींचतान में आखिर चिराहखुर्द के लोग कब तक पिसते रहेंगे?