लापरवाही की पाठशाला: शिक्षा व्यवस्था ICU में, DEO की निष्क्रियता पर सवाल.


School of Negligence: Education System in ICU, Questions Raised on DEO’s Inaction.
Correspondent, Damoh, MP Samwad.
A surprise inspection of Damoh schools exposed serious lapses in attendance, cleanliness, and academic delivery. The DEO’s consistent inaction raises serious concerns. Despite complaints, corrupt practices and fake teacher protection continue, putting the entire education system in crisis.
MP संवाद, दमोह, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, मृत्युंजय कुमार ने दमोह जिले के विभिन्न शासकीय स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में शिक्षकों की घोर लापरवाही और शैक्षणिक व्यवस्था की खस्ताहाली उजागर हुई। कहीं शिक्षक नदारद थे, तो कहीं गंदगी और अनदेखी का माहौल।
बांसा कला स्कूल में 15 में से केवल 4 शिक्षक उपस्थित
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बांसा कला, पथरिया में 15 नियमित शिक्षकों में से सिर्फ 4 शिक्षक ही उपस्थित मिले।
- छात्र उपस्थिति रजिस्टर अद्यतन नहीं था।
- शिक्षण डायरी संधारित नहीं की गई थी।
- अभ्यास कार्य नहीं कराया जा रहा था।
- कैचमेंट क्षेत्र के 98 बच्चों का नामांकन अब तक नहीं हुआ था।
बिना सूचना अनुपस्थित शिक्षक, नोटिस जारी
तीन से चार दिन से ड्यूटी से गायब रहे निम्नलिखित शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं:
- नर्मदा प्रसाद अहिरवार
- अखंड प्रताप सिंह
- धर्मेंद्र चौबे
- भगवानदास चौरसिया
- रामदेवी चौरसिया
- भारत सिंह ठाकुर
- विजय गुप्ता
- शिशुपाल चौधरी
केरबना स्कूल की बदतर हालत
यहां:
- साफ-सफाई का घोर अभाव
- अभ्यास कार्य और प्रायोगिक गतिविधियों पर कोई ध्यान नहीं
- 10वीं-12वीं में परिणाम 30% से भी कम
- फिर भी सुधार की दिशा में कोई प्रयास नहीं
पथरिया स्कूल में हालात अपेक्षाकृत बेहतर
यहाँ:
- 28 में से 5 शिक्षक स्वीकृत अवकाश पर थे
- शेष शिक्षक उपस्थित
- शिक्षण कार्य संतोषजनक
डीईओ एस.के. नेमा की निष्क्रियता पर उठे सवाल
निरीक्षण में सामने आई अनियमितताओं और लापरवाही के लिए जिला शिक्षा अधिकारी एस.के. नेमा की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- छात्रों का अधूरा नामांकन
- लगातार खराब बोर्ड परीक्षाफल
- शिकायतों के बावजूद कोई निरीक्षण या कार्रवाई नहीं
सूत्रों के अनुसार, डीईओ ने फर्जी शिक्षकों को लंबे समय से संरक्षण दे रखा है, और जिला कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर की चुप्पी ने शक की सुई उनकी ओर भी मोड़ दी है। पूरे मामले में प्रशासनिक मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।