

बालाघाट का ऐतिहासिक पुल जर्जर, ग्रामीणों में डर और गुस्सा
100-year-old bridge turns into a death trap, locals enraged!
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
बरबसपुर गांव का ऐतिहासिक पुल खतरे में
बालाघाट जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर बरबसपुर गांव में धूटी डैम की मुख्य नहर पर स्थित 100 साल पुराना पुल अब जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। लगभग आठ महीने पहले ही पुल की हालत खराब हो गई थी, जिसके बाद प्रशासन ने सावधानी का बोर्ड लगाया था, लेकिन असामाजिक तत्वों ने इसे हटा दिया।
अब हालात यह हैं कि भारी वाहनों के गुजरने से पुल हिलने लगता है और हर वक्त हादसे का खतरा बना रहता है। अंग्रेजों के जमाने का यह पुल डोंगरिया से बरबसपुर और अन्य कई गांवों को जोड़ता है। हर दिन हजारों लोग इस पुल से गुजरते हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों में डर और गुस्सा दोनों बढ़ता जा रहा है।
सरकार का ध्यान क्यों नहीं?
पिछले एक साल से पुल खतरनाक स्थिति में है, लेकिन अब तक इसके सुधार पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- पुल के जर्जर होने के बाद प्रशासन ने सावधानी का बोर्ड लगाया था, लेकिन असामाजिक तत्वों ने इसे हटा दिया।
- इसके बाद भारी वाहन बिना किसी रोक-टोक के गुजरते रहे, जिससे पुल और कमजोर हो गया।
- सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण स्थानीय लोग खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं।
आए दिन होते हैं हादसे
बरबसपुर के रहने वाले लोग बताते हैं कि पुल की जर्जर हालत के कारण लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं।
- कई लोग इन हादसों में गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, जबकि कुछ की मौत भी हो चुकी है।
किसानों और मजदूरों की परेशानी बढ़ी
इस जर्जर पुल से गुजरने वाले ज्यादातर लोग किसान और मजदूर हैं।
- किसान अपने खेतों तक पहुंचने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते हैं।
- शाम के समय जब भारी वाहन गुजरते हैं, तो भारी ट्रैफिक लग जाता है।
- इससे ट्रक ड्राइवरों और किसानों के बीच विवाद की स्थिति भी बन जाती है।
क्या प्रशासन उठाएगा कोई कदम?
स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस पुल की मरम्मत कराए या नया पुल बनाया जाए। हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब सरकार को इस ओर ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है।
Very interesting subject, regards for putting up. “All human beings should try to learn before they die what they are running from, and to, and why.” by James Thurber.