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फर्जी नर्स, लापरवाह प्रशासन: विदिशा मेडिकल कॉलेज में बड़ा घोटाला!

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Fake nurse scam rocks Vidisha Medical College! A woman worked for 4 years using false documents. Authorities begin probe into the shocking lapse.

Vidisha Medical College faces controversy as a nurse was caught working for four years using fake documents. Investigation underway!

Vidisha Medical College faces controversy as a nurse was caught working for four years using fake documents. Investigation underway!

Fake Nurse, Negligent Administration: Major Scam in Vidisha Medical College!

Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.

Vidisha Medical College exposed in a major scam! A fake nurse worked for 4 years without verification, earning ₹6 lakh in salary. The real nurse is now struggling for justice. Investigation launched, but no action on officials yet. Will the administration audit all nursing staff?

विदिशा। अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज (Vidisha Medical College) में फर्जी दस्तावेज़ों (Fake Documents) के आधार पर चार साल तक नौकरी करने वाली एक नर्स का मामला सामने आया है। यह चौंकाने वाला खुलासा खुद उसके पति की शिकायत पर हुआ, जिससे कॉलेज प्रशासन और भर्ती प्रक्रिया में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से 2021 में उषा उइके नाम की महिला ने मेडिकल कॉलेज में बतौर नर्स नौकरी शुरू की। आश्चर्यजनक रूप से, चार साल तक कॉलेज प्रशासन ने उसके दस्तावेज़ों का सत्यापन नहीं किया और नियमित रूप से वेतन देता रहा। मामला तब सामने आया जब उसके पति ने आपसी विवाद के चलते शिकायत दर्ज कराई।

सरकार को लाखों का नुकसान!

चार साल की नौकरी के दौरान फर्जी नर्स को लगभग ₹6 लाख का वेतन दिया गया। उसकी मासिक सैलरी ₹28,000 थी। अब सवाल यह उठता है कि इस सरकारी नुकसान की भरपाई कौन करेगा – कॉलेज प्रशासन या फरार नर्स?

भर्ती प्रक्रिया में बड़ी खामी

अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में 325 नर्सिंग स्टाफ कार्यरत हैं, जिनकी भर्ती एम्प्लाई सिलेक्शन बोर्ड, भोपाल के माध्यम से होती है। नियमों के मुताबिक, प्रत्येक नर्स की तीन साल की परिवीक्षा अवधि होती है, जिसमें दस्तावेज़ों का सत्यापन किया जाता है। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने बिना किसी जांच के सभी नर्सों को स्थायी कर दिया।

वास्तविक नर्स बनी पीड़ित!

दिलचस्प बात यह है कि जिस नाम से फर्जी नर्स नौकरी कर रही थी, उसी नाम की एक असली नर्स ने 2023 में जॉइन किया। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उसकी पिछले पांच महीने की सैलरी रोक रखी है, जिससे वह न्याय के लिए दर-दर भटक रही है।

भ्रष्टाचार या लापरवाही?

फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर नौकरी मिलना और प्रशासन द्वारा बिना सत्यापन के नौकरी पक्की करना, यह दर्शाता है कि कॉलेज प्रबंधन और भर्ती प्रक्रिया में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार या गंभीर लापरवाही जरूर हुई है।

अधिकारियों पर सवाल!

  • अभी तक इस मामले में किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
  • प्रशासन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि फर्जी नर्स से राशि की वसूली होगी या कॉलेज प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा

मेडिकल कॉलेज पर उठे सवाल:

✔ क्या कॉलेज प्रशासन और एम्प्लाई सिलेक्शन बोर्ड की मिलीभगत से यह मामला चार साल तक दबा रहा?
✔ क्या प्रशासन बाकी नर्सिंग स्टाफ के दस्तावेज़ों की भी जांच करेगा?
✔ असली नर्स को उसका वेतन और न्याय कब मिलेगा?

क्या बोले अधिकारी?

अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मनीष निगम ने कहा कि जांच कमेटी गठित कर दी गई है। चार साल तक शासन द्वारा दिए गए वेतन की वसूली की जाएगी और कमेटी के निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी

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