

Satna-Maihar: FIR registered against cooperative society officials in a ₹96 lakh paddy scam case.
Paddy Scam EXPOSED! FIR Registered Against Cooperative Society Manager and Operator.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
A major scam in Satna-Maihar’s cooperative society has been exposed, with over 4203 quintals of paddy missing. FIR registered against the manager and operator under multiple sections. Authorities suspect fraud through advance feeding. Investigation underway to determine officials’ involvement in the ₹96 lakh scam.
सतना-मैहर में भ्रष्टाचार के मामलों पर प्रशासन सख्त हो गया है। आयकर विभाग और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की लगातार कार्रवाई के बीच अब पुलिस-प्रशासन ने भी एक्शन लिया है। ताजा मामले में, सहकारी समिति द्वारा 4203 क्विंटल धान गायब करने का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में समिति प्रबंधक सहित तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।
एफआईआर में नामों की हेराफेरी!
डीएम नान पंकज बोरसे ने समिति प्रबंधक, ऑपरेटर और खरीदी प्रभारी के खिलाफ एफआईआर कराई। लेकिन इसमें एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई—खरीदी प्रभारी राजीव तिवारी उर्फ राजू का नाम गलत लिखवाया गया और उसकी जगह संजीव तिवारी दर्ज किया गया। इस गड़बड़ी से प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह किसी को बचाने की कोशिश है?
15 दिन बाद दर्ज हुआ मामला
भौतिक सत्यापन के दौरान 4203.60 क्विंटल धान की शॉर्टेज पाई गई थी। इसके बाद जिला प्रबंधक नान द्वारा एफआईआर कराने का आदेश जारी किया गया, लेकिन लगभग 15 दिन बाद जाकर मामला दर्ज किया गया।
लगातार मिल रही थीं शिकायतें
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में जरौहा मनकीसर की सेवा सहकारी समिति को धान उपार्जन का कार्य सौंपा गया था। 23 जनवरी को धान उपार्जन कार्य समाप्त हो गया, लेकिन उसके बाद भी समिति के पास धान बचा हुआ था। इसको लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं।
रामनगर शाखा प्रबंधक द्वारा की गई जांच में समिति पर कुल 4203.6 क्विंटल धान की शॉर्टेज पाई गई। इसे गंभीरता से लेते हुए जिला प्रबंधक एमपीडब्ल्यूएलसी मैहर और सहायक आपूर्ति अधिकारी अमरपाटन ने संयुक्त रूप से समिति का भौतिक सत्यापन किया।
96 लाख रुपये से अधिक की गड़बड़ी
पोर्टल डेटा के अनुसार, समिति द्वारा कुल 45,168 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी, जिसमें से 36,474.6 क्विंटल धान का परिवहन किया जा चुका था। लेकिन भौतिक सत्यापन में सिर्फ 3,000 से 4,000 क्विंटल धान ही पाया गया, जबकि 4203 क्विंटल धान का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। इसकी कीमत ₹96,68,280 आंकी गई।
समिति प्रबंधक की तबीयत बिगड़ी, ऑपरेटर पकड़ा गया
जब भौतिक सत्यापन किया गया, तो समिति प्रबंधक दीपेंद्र सिंह और खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी अनुपस्थित थे। ऑपरेटर मौके पर मौजूद था, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। उसने अधिकारियों को बताया कि समिति प्रबंधक दीपेंद्र सिंह को दिल का दौरा पड़ा है और वे भोपाल के अस्पताल में भर्ती हैं।
कैसे हुआ यह घोटाला?
जांच से यह साफ हुआ कि समिति पर चार हजार क्विंटल से ज्यादा धान की शॉर्टेज थी, जो या तो फर्जी खरीदी थी या फिर उसे खुर्द-बुर्द किया गया। ब्रांच मैनेजर के प्रतिवेदन के आधार पर समिति प्रबंधक, खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी और ऑपरेटर अनिल कुमार दहायत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
यह भी सामने आया कि यह पूरा खेल एडवांस फीडिंग के जरिए किया गया था। अब सवाल यह है कि क्या इस घोटाले में प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल थे? आगे की जांच में यह साफ हो पाएगा।