

Sanchi's 2,500-year-old heritage at risk: Urgent action needed to prevent further decay and loss – mp-samwad
Our Heritage, Our Responsibility: We Must Save Sanchi!
Sitaram Kushwaha, Special Correspondent, Vidisha, MP Samwad.
Sanchi’s ancient heritage, a UNESCO World Heritage Site, faces neglect and decay. Despite preservation efforts, many priceless monuments remain unprotected. Authorities must act swiftly to safeguard this 2,500-year-old legacy before it vanishes into history. Will Sanchi’s treasures survive, or will they fade into oblivion?
MP सांची अपने आप में ऐतिहासिक महत्व समेटे हुए है। इसकी प्राचीनता और सांस्कृतिक विरासत देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करती है। लगभग ढाई हजार साल पुरानी इस ऐतिहासिक नगरी को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। लेकिन दुर्भाग्यवश, यहां की कई ऐतिहासिक संपदाएं आज भी उपेक्षा और लापरवाही की शिकार हैं।
संरक्षण की धीमी गति और उपेक्षा
हाल ही में सांची की पहाड़ी पर सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया गया है। सौर ऊर्जा एजेंसी ने अपने निश्चित क्षेत्र की तार फेंसिंग कर वहां की संपदा को सुरक्षित कर लिया है, जिससे संरक्षण की उम्मीद थोड़ी बढ़ी है। लेकिन अन्य कई ऐतिहासिक धरोहरें अब भी बदहाल स्थिति में हैं और उचित देखरेख के अभाव में नष्ट होने की कगार पर हैं।
अंग्रेजी शासन से लेकर आजादी के बाद तक संरक्षण के प्रयास
सांची की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की शुरुआत अंग्रेजी शासनकाल में हुई थी। अंग्रेज अधिकारियों ने खुदाई करवाई और कई अमूल्य वस्तुएं खोजीं। हालांकि, दुर्भाग्यवश कई ऐतिहासिक कलाकृतियां वे अपने देश ले जाने में भी सफल रहे।
स्वतंत्रता के बाद, इन धरोहरों को केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रखा गया। इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन संरक्षण के नाम पर कागज़ी योजनाएँ ही बनती रहीं। आजादी के 75 वर्षों बाद भी कई बहुमूल्य स्मारक उचित देखरेख के अभाव में बर्बाद हो रहे हैं।
बेशकीमती धरोहरों की चोरी और विनाश
सांची क्षेत्र की कई अमूल्य धरोहरें लापरवाही के कारण नष्ट हो चुकी हैं। कुछ धरोहरें अवैध रूप से चुराई जा चुकी हैं, और जो बची हैं, वे भी उचित देखरेख के अभाव में बर्बादी की कगार पर हैं।
सांची की नागौरी पहाड़ी भी ऐतिहासिक धरोहरों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस पहाड़ी पर हजारों साल पुरानी पत्थर की घोड़ी स्थित है, जो ग्रामीणों की देखरेख में अभी तक सुरक्षित है। कहा जाता है कि इसके साथ एक छोटे बच्चे की प्रतिमा भी हुआ करती थी, जो वर्षों पहले गायब हो गई।
प्रशासन और पुरातत्व विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग
इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का मानना है कि पुरातत्व विभाग की लापरवाही के कारण न जाने कितनी ऐतिहासिक धरोहरें अब तक नष्ट हो चुकी हैं। प्रशासन और पुरातत्व विभाग को चाहिए कि वे इस अमूल्य विरासत के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं। अगर समय पर उचित कार्यवाही नहीं की गई, तो ये धरोहरें इतिहास के पन्नों में ही सिमटकर रह जाएंगी।