फर्जी दस्तावेज़, मरे हुए गवाह और कब्जा – पटवारी ने खेला सीमांकन का ‘शातिर खेल’.


Fake Documents, Dead Witnesses, and Encroachment – The Patwari Played a Cunning Game of Land Demarcation.
Mohan Nayak, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.
In Katni’s Dheemarkheda, a patwari conducted land demarcation using fake signatures of deceased and absent farmers. Government land was falsely shown as private. The SDM suspended Patwari Dan Singh immediately. The case exposes serious corruption in revenue records and a shocking misuse of administrative authority.
कटनी। “पटवारी कुछ भी कर सकते हैं” — यह कहावत ढीमरखेड़ा में एक बार फिर सच साबित हुई। यहां पदस्थ हल्का पटवारी दान सिंह ने सीमांकन की प्रक्रिया में मृतकों और गैरमौजूद किसानों के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर एक बड़ा राजस्व घोटाला अंजाम दे दिया। मामले के उजागर होने पर एसडीएम निधि गोहल ने उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मुख्यालय में संलग्न कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, पटवारी ने सीमांकन के दौरान दो मृत व्यक्तियों — जगदीश और सुरेश — के फर्जी हस्ताक्षर कर दिए। यही नहीं, उन किसानों के भी हस्ताक्षर पंचनामे में दर्शाए गए जो मौके पर मौजूद नहीं थे और जिनकी जमीन उस क्षेत्र में थी ही नहीं।
मामला तब उजागर हुआ जब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के उपाध्यक्ष विवेक निधि रजक ने 25 मई 2025 को एक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया कि जमुना बाई पति गणेश राय द्वारा खसरा नंबर 141/3 से 1090 वर्गफुट भूमि सीमांकन की कार्यवाही हुई थी।
लेकिन जो सीमांकन हुआ, वह शासकीय जल नाले (खसरा 141/5) की भूमि पर स्थित अवैध मकान का था, जिसे पटवारी ने जानबूझकर निजी भूमि दर्शाया।
राजस्व अभिलेखों की नकल निकलवाने पर यह स्पष्ट हुआ कि:
- मृतकों के हस्ताक्षर फर्जी तरीके से किए गए
- सरहदी किसान: मुकेश, कमलेश, प्रतिभा, जन्मेजय रजक के नाम से भी फर्जी हस्ताक्षर किए गए
- सीमांकन की त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया के जरिए जमुना राय को भूमिस्वामी घोषित कर दिया गया
इसके अलावा, पटवारी दान सिंह ने खसरा नंबर 78, 262, 324, 407, 867, 794, 97, 141/5 की शासकीय जल नाल भूमि पर भी कई अन्य लोगों को अवैध कब्जा दिलवा दिया।
एसडीएम निधि गोहल ने कहा:
“पटवारी द्वारा सीमांकन कार्यवाही में गंभीर लापरवाही, कदाचार और स्वेच्छाचारिता पाई गई है। मृत किसानों के हस्ताक्षर पंचनामा में पाए जाना घोर प्रशासनिक अपराध है।”
उक्त कृत्य के आधार पर पटवारी को निलंबित करते हुए मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है।