डीईओ, सीईओ, एसडीओपी सभी ट्रांसफर के बाद भी जमे, आदेशों का मखौल.


DEO, CEO, and SDOP Still Holding Posts Despite Transfers, Making a Mockery of Government Orders.
Mohan Nayak, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.
MP संवाद, कटनी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन के पत्र क्रमांक 690/2025/वि-5/22/स्था. दिनांक 06/06/2025 के अनुसार राज्य शासन ने मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (C.E.O.) का तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण किया था।
रीठी जनपद पंचायत के सीईओ चंदूलाल पनिका का तबादला सीधी जिले में किया गया, जबकि हर्रई (जिला छिंदवाड़ा) में पदस्थ रहे राजेश नरेन्द्र सिंह को रीठी जनपद का नया सीईओ बनाया गया।
लेकिन स्थिति यह है कि दोनों अधिकारी ही पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। दोनों अपने-अपने स्थानों पर डटे हुए हैं, जिससे शासन के आदेश की सीधी अवहेलना हो रही है।
🔁 सचिवों ने निभाई ज़िम्मेदारी, अफसरों ने दिखाई ढीठाई
जहां स्थानांतरित किए गए सचिव अपने नवीन पदस्थापन वाली मूल पंचायतों में सेवाएँ देना शुरू कर चुके हैं, वहीं सीईओ अब भी “मलाईदार कुर्सी” नहीं छोड़ रहे हैं। यह स्थिति अब पखवाड़े भर से बनी हुई है।
⚠️ विभाग प्रमुखों की चुप्पी से बढ़ा आक्रोश
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि तबादला आदेश जारी हो गया है, तो सीईओ को तत्काल पद छोड़कर नए स्थान पर आमद देना चाहिए। लेकिन यहां आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, और वरिष्ठ अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
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🧑🏫 डीईओ और एसडीओपी भी “कुर्सी प्रेम” में
यही हाल जिला शिक्षा अधिकारी (D.E.O.) पृथ्वी पाल सिंह का है, जिनका तबादला जबलपुर हो चुका है, लेकिन वे अभी भी वर्तमान पद पर जमे हुए हैं।
इतना ही नहीं, रीठी जनपद में पदस्थ एसडीओपी सतीश कौशिक का भी तबादला बहोरीबंद किया गया है, लेकिन वे भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
🤔 अब सवाल ये उठता है…
क्या शासन के आदेश केवल कागजों तक सीमित हैं?
क्या अधिकारी “मनमानी” करते रहेंगे और विभाग मूकदर्शक बना रहेगा?
अब देखना यह होगा कि वरिष्ठ अधिकारी इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई करते हैं, या यह मामला यूं ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।