अस्थिरता और सौदेबाजी खत्म करने को सरकार लाएगी अध्यादेश.


The government will bring an ordinance to end instability and horse-trading.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
The government will bring an ordinance to end instability and horse-trading.
Madhya Pradesh government has decided to restore direct elections for municipal and council presidents, reversing the Kamal Nath government’s indirect system. The move, to be brought through an ordinance, aims to end instability and political bargaining. Cabinet approval has been secured, ensuring stronger democracy and independent decision-making in local bodies.
MP संवाद, भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार नगर पालिका और नगर परिषद चुनाव को लेकर बड़ा फैसला लेने जा रही है। कमलनाथ सरकार द्वारा लागू की गई अप्रत्यक्ष प्रणाली को पलटते हुए अब मोहन सरकार अध्यक्ष पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव कराने की तैयारी में है। इसके लिए अध्यादेश लाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिस पर कैबिनेट में सहमति बन चुकी है।
कमलनाथ सरकार का फैसला, फिर पलटा बीजेपी ने
2018 तक मध्यप्रदेश में अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था। लेकिन कमलनाथ सरकार ने 2019 में अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू की, जिसके तहत पार्षदों के माध्यम से अध्यक्ष का चयन किया जाने लगा। कोरोना महामारी के चलते चुनाव टलने और सरकार बदलने के बाद 2022 में भी यही व्यवस्था लागू रही। अब मोहन सरकार इसे बदलने जा रही है।
सरकार का तर्क: अस्थिरता और ब्लैकमेल से बचाव
कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से अक्सर राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है। कई बार अध्यक्षों को ब्लैकमेल तक किया जाता है और परिषदों में सौदेबाजी का माहौल बन जाता है। प्रत्यक्ष चुनाव से जनता सीधे अध्यक्ष चुनेगी, जिससे परिषदें मजबूत होंगी और अविश्वास प्रस्ताव की राजनीति खत्म होगी।
प्रदेश में 99 नगर पालिकाएं और 298 नगर परिषदें
फिलहाल मध्यप्रदेश में 99 नगर पालिका परिषद और 298 नगर परिषदें हैं। इन संस्थाओं के अध्यक्ष शहरी विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं। सरकार का मानना है कि प्रत्यक्ष चुनाव से अध्यक्ष अधिक निर्भीकता और पारदर्शिता के साथ काम कर पाएंगे।