

Emergency services negligence leads to fatal oxygen shortage during ambulance transfer.
Negligence in Emergency Services: Child’s Life Lost Due to Lack of Oxygen.
In a shocking incident, emergency services negligence resulted in a fatal oxygen shortage during ambulance transfer from Gunna hospital to Bhopal, causing the death of a three-year-old child. This tragedy highlights severe lapses in medical protocols and accountability. Investigation details remain pending as authorities face public outrage; action is awaited.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
मध्य प्रदेश:
गुना जिला अस्पताल से भोपाल रेफर की गई तीन साल की बच्ची हर्षिता कुशवाह की 108 एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने के कारण मौत हो गई। एंबुलेंस कर्मचारियों ने बच्ची को ब्यावरा सिविल अस्पताल में भर्ती कराते ही छोड़ दिया, जहां डॉक्टरों ने हर्षिता की जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना का विवरण
- भर्ती और हालत बिगड़ना:
तेज बुखार के कारण तीन साल की हर्षिता कुशवाह को गुरुवार को गुना के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार रात 11:45 बजे बच्ची की हालत बिगड़ने लगी। उसे खून की उल्टियां और पीछे से ब्लीडिंग होने लगी। डॉक्टरों ने 12:10 बजे बच्ची को भोपाल रेफर कर दिया। - एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी:
सुबह 6:30 बजे एंबुलेंस हर्षिता को गुना से भोपाल ले जाने निकली। रिपोर्ट के अनुसार, करीब पांच किलोमीटर चलने के बाद एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म हो गई और दूसरा सिलेंडर भी पहले से खाली पाया गया। ब्यावरा सिविल अस्पताल में ड्यूटी डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया।
अधिकारी और गवाह की बयानबाजी
- गवाह का बयान:
हर्षिता कुशवाह, जो गुना जिले के ग्राम पटना की रहने वाली थी, के दादा ओंकार सिंह कुशवाह ने कहा कि बच्ची को भोपाल रेफर किया गया था। रास्ते में ऑक्सीजन खत्म होने पर उन्होंने गाड़ी रोककर देखा कि दूसरा सिलेंडर भी खाली था। ओंकार सिंह ने गुना जिला अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का भी आरोप लगाया। - एंबुलेंस चालक का कहना:
मामले की जांच के दौरान, एंबुलेंस चालक एवं पदस्थ ईएमटी ने बताया कि उनके अनुसार एंबुलेंस में पर्याप्त ऑक्सीजन मौजूद थी। उनका कहना था कि बच्ची की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उसे पास के अस्पताल में भर्ती कराया जाना पड़ा।
निष्कर्ष
इस दुखद घटना से यह स्पष्ट होता है कि आपातकालीन सेवाओं में ऑक्सीजन की उचित व्यवस्था न होने के कारण जान-माल का नुकसान हुआ है। संबंधित अधिकारियों से अपील की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की त्रासदी से बचने के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।