छात्रावास के नाम पर मज़दूरों से मज़ाक! भ्रष्टाचार की पुट्टी से ढकी दीवारें.


In the name of a hostel, a mockery of labor! Walls covered with a layer of corruption.
Special Correspondent, Seoni, MP Samwad.
In Barghat’s tribal hostel construction, serious corruption is exposed. From rusted rods to poor cement, unskilled laborers built a weak structure. Officials ignored quality checks. Villagers demand EOW investigation as the contractor rushes to hand over the building. The incident raises questions on safety and systemic negligence.
MP संवाद, बरघाट। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहा जूनियर आदिवासी छात्रावास भवन संदेह के घेरे में है। शिकायत के बाद आनन-फानन में भवन को जल्दबाजी में विभाग को सौंपने की कोशिशें की जा रही हैं। ग्रामीणों ने ठेकेदार पर भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी है। MP संवाद की टीम इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और पहले भी इस संदर्भ में रिपोर्ट कर चुकी है।
ठेकेदार को बचा रहे विभागीय अधिकारी
सिवनी जिले के बरघाट विकासखंड के बेहरई गांव में बन रहा छात्रावास भवन कई अनियमितताओं से घिरा हुआ है। निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड तक नहीं लगाया गया, जिससे ग्रामीणों को कार्य की जानकारी तक नहीं है। सूत्रों के अनुसार, जंग लगे लोहे की पुरानी रॉड और घटिया सस्ती सीमेंट का उपयोग किया गया है।
स्थानीय मिस्त्री और मजदूरों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि भवन की बीम और कॉलम बेहद कमजोर बने हैं, और नींव भी पूरी तरह असुरक्षित है।
बताया गया है कि ठेकेदार ने यह निर्माण किसी अपने करीबी को पेटी कांट्रैक्ट पर देकर करवाया है। करोड़ों की लागत से बना यह भवन निजी सुपरवाइजर की देखरेख में तैयार हुआ, और अप्रशिक्षित मिस्त्री व मजदूरों से निर्माण कार्य कराया गया। हैरानी की बात यह है कि निर्माण के दौरान विभागीय अधिकारी टेक्निकल क्वालिटी की जांच के लिए कभी मौके पर उपस्थित नहीं रहे।
शिकायत के बाद घबराया ठेकेदार, बिना छपाई कराई पुट्टी
जब ग्रामीणों ने बार-बार शिकायत की तो आरोप है कि भवन की सीलिंग पर बिना छपाई के पुट्टी कर दी गई, जिससे गुणवत्ता और भी संदिग्ध हो गई है। कार्य में तेजी लाकर भ्रष्टाचार के प्रमाणों को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, निर्माण एजेंसी इस भवन को जल्दबाजी में विभाग को सौंपना चाहती है ताकि मामला दबाया जा सके।
ईओडब्ल्यू जांच की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि मामले की जांच ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) से करवाई जाए। लोग हाल ही में झाबुआ में हुए निर्माणाधीन भवन हादसे से डरे हुए हैं, जिसमें मजदूरों की मौत हो गई थी। ऐसी लापरवाही से बरघाट में भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।