बस्ते के साथ डर लेकर स्कूल जाते हैं डिंडौरी के बच्चे.


Children in Dindori Carry Fear Along with Their Schoolbags.
Special Correspondent, Dindori, MP Samwad.
In Dindori’s Umaradha village, children risk their lives daily to attend school. They cross rivers and walk unsafe paths to reach a crumbling, leaking school building. Most students belong to tribal communities. Despite repeated complaints, officials remain silent. Fear now travels with every schoolbag in this neglected corner of Madhya Pradesh.
MP संवाद, डिंडौरी: जिले में आज भी कई स्कूल खंडहर हो चुके भवनों में संचालित हो रहे हैं। टपकती छतों और जर्जर दीवारों के नीचे नौनिहालों को पढ़ाई करनी पड़ रही है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन और मूकदर्शक बने बैठे हैं।
शहपुरा विधानसभा क्षेत्र की अझवार ग्राम पंचायत के वनग्राम उमरधा के बच्चों के लिए स्कूल जाना किसी दुर्घटना से कम नहीं। बैगा टोला के बच्चे पहले कनई नदी को पार करते हैं, फिर कच्ची पगडंडियों से करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं।
स्कूल भवन की हालत भयावह है — छतें टपक रही हैं, जंग खाए सरिए बाहर झांक रहे हैं, और मलबा कभी भी गिर सकता है। बच्चे गीले फर्श पर चटाई बिछाकर पढ़ने को मजबूर हैं।
यहां स्थित प्राथमिक शाला उमरधा में लगभग 30 बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें से अधिकतर बैगा और आदिवासी समुदाय से आते हैं।
शिक्षिका ज्योति परस्ते ने बताया कि भवन कभी भी गिर सकता है। उन्होंने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को हालात से अवगत कराया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। झालावाड़ हादसे के बाद वे खुद डरी-सहमी स्कूल चला रही हैं।
पालक शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रदीप कुलेश ने भी प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाए और कहा कि अधिकारी भवन की खस्ताहाल से भलीभांति परिचित हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।