

A once-thriving Katni River now gasps for survival due to pollution and encroachment — Image via mpsamwad.com
Katni River Taking Its Last Breaths: Is Anyone Listening to Its Cry?
Mohan Nayak, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.
कभी कटनी की जीवनरेखा रही कटनी नदी आज प्रदूषण, अतिक्रमण और उपेक्षा के चलते अंतिम साँसें ले रही है। सूखती धार और मरती जैव विविधता एक करुण पुकार है, जिसे अनसुना किया जा रहा है। नदी को बचाने के लिए त्वरित जन और प्रशासनिक प्रयास जरूरी हैं।
Once a lifeline for Katni, the Katni River is now gasping for breath due to pollution, encroachments, and neglect. Its drying stream echoes a desperate cry for help. The fading river calls for urgent public and administrative intervention to revive its lost glory and ecological significance.
कटनी नदी की दुर्दशा: गंदगी और उपेक्षा का शिकार
- गाटरघाट और गिरजाघाट जैसे ऐतिहासिक स्थल, जहाँ कभी निर्मल जल बहता था, आज कूड़े-कचरे और प्रदूषण से अटे पड़े हैं।
- नदी के किनारों पर अतिक्रमण और गंदगी फैलाने की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
- कई योजनाएँ बनीं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिखा।
जनता की आवाज बनी अनसुनी
- स्थानीय नागरिक और पर्यावरण प्रेमी लंबे समय से नदी की सफाई और संरक्षण की मांग करते आए हैं, लेकिन अधिकारियों और नेताओं की उदासीनता के कारण समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
- कई बार जागरूकता अभियान चलाए गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
समय की मांग: तत्काल संरक्षण के उपाय
- नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए जल संचयन, गंदगी की रोकथाम और सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।
- स्थानीय समुदाय और प्रशासन को मिलकर जन-जागरूकता अभियान चलाने होंगे।
- नदी किनारे अतिक्रमण हटाने और सीवेज प्रबंधन को प्राथमिकता देनी होगी।