

Villagers allege that the corruption inquiry in Dhaukheda Panchayat was not conducted fairly!
Investigation of corruption or mere pretense? Inquiry wrapped up behind closed doors in Dhaukheda Panchayat!
नरसिंहपुर जिले की तहसील गाडरवारा के जनपद पंचायत साईंखेड़ा अंतर्गत धौखेड़ा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने लगभग दो माह पहले मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ), जनपद पंचायत साईंखेड़ा और अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), गाडरवारा कलावती ब्यारे को एक शिकायती पत्र सौंपा था।
इस पत्र में ग्राम रोजगार सहायक भागचंद कुशवाहा पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारत सरकार और मध्य प्रदेश शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं, विशेष रूप से मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार किया। ग्रामीणों ने दावा किया कि लाभार्थियों से रिश्वत ली गई और सरकारी योजनाओं के धन का गबन किया गया।
ग्रामीणों ने भागचंद कुशवाहा की चल-अचल संपत्ति की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इस पर तत्कालीन सीईओ वसंत तिवारी ने अपने सेवानिवृत्त होने से पहले एक जांच समिति गठित करने और निष्पक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इस जांच में उपखंड ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के अधिकारी शुभम पटेल और दो अन्य अधिकारियों को नियुक्त किया गया था।
चार दीवारों के अंदर, कुछ घंटों में पूरी हुई जांच
क्या भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश हुई?
ग्रामीणों के अनुसार, जांच अधिकारी शुभम पटेल और उनकी टीम ने बिना किसी सार्वजनिक सूचना या मुनादी के ग्राम रोजगार सहायक भागचंद कुशवाहा के करीबियों को बुलाकर ग्राम पंचायत कार्यालय के भीतर बंद कमरे में जांच शुरू कर दी।
- न जांच में आरोपों पर चर्चा की गई
- न ही जमीनी हकीकत का जायजा लिया गया
- ग्रामीणों के विरोध के बावजूद जांच जारी रही
जब ग्रामीणों को इस जांच की जानकारी मिली, तो वे ग्राम पंचायत भवन पहुंचे और इस गोपनीय जांच प्रक्रिया का विरोध किया। लेकिन शिकायतकर्ता ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि जांच के दौरान अधिकारियों के पास पंचायत संबंधी डेटा उपलब्ध नहीं था, जिससे साफ प्रतीत होता है कि जांच सिर्फ औपचारिकता के लिए की गई थी।
ग्रामीणों का आरोप – भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक संरक्षण
ग्रामीणों का मानना है कि ग्राम रोजगार सहायक और पंचायत के अन्य भ्रष्ट अधिकारी जनपद पंचायत, तहसील प्रशासन, जिला पंचायत, स्थानीय विधायक और मंत्रियों के संरक्षण में बेखौफ हैं।
शिकायतों के बावजूद न तो जनपद पंचायत साईंखेड़ा ने ठोस कदम उठाए और न ही अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) गाडरवारा ने इस मामले में गंभीरता दिखाई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि –
✔ जांच अधिकारी भ्रष्टाचारियों को बचाने में जुटे हैं
✔ भ्रष्टाचार रोकने के बजाय भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिल रहा है
✔ जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से गरीबों की योजनाओं में हेराफेरी जारी है
क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव कार्रवाई करेंगे?
अब बड़ा सवाल यह है कि लगातार खबर प्रकाशित होने के बाद क्या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे?
क्या वे ग्राम पंचायत धौखेड़ा में हो रहे भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच का आदेश देंगे या फिर एक बार ग्रामीणों की आवाज को दबाकर भ्रष्टाचारियों को खुला संरक्षण दिया जाएगा?
अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई करती है या इसे भी नजरअंदाज कर दिया जाता है।