मंत्रीजी का खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार क्या सफल होगा सिरोंज में कांग्रेस का यह प्लान?  हरदा में घिरते जा रहे हैं कमल पटेल!  इस “अपेक्स घोटाले” को रोक सको तो रोक लो  सिंधिया समर्थकों की सांसें फुली हुई हैं!  भाजपा का लहार फतह करने का प्लान वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन का कॉलम सुनी सुनाई

मंत्रीजी का खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार क्या सफल होगा सिरोंज में कांग्रेस का यह प्लान? हरदा में घिरते जा रहे हैं कमल पटेल! इस “अपेक्स घोटाले” को रोक सको तो रोक लो सिंधिया समर्थकों की सांसें फुली हुई हैं! भाजपा का लहार फतह करने का प्लान वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र जैन का कॉलम सुनी सुनाई

*मंत्रीजी का खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार*

यह भाजपा के संघनिष्ठ कार्यकर्त्ता हैं। एक समय ऐसा भी था जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इनकी ईमानदारी के किस्से सुनाते थे। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी थी। बमुश्किल दूसरी बार विधायक बने तो शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया। फिलहाल इनके ईमानदारी के सारे सिद्धांत नदारत हो चुके हैं। पूरा फोकस माल कूटने पर लगा है। खास बात यह है कि कमाई के नये नये तरीकों के लिये इन्होंने अपने विभाग के सबसे भ्रष्ट रिटायर अफसर को अपना अघोषित ओएसडी बना लिया है। उसे बंगले पर बैठने के लिए एक कक्ष भी दिया गया है। अभी कुछ दिन पहले इस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन मंत्रीजी की कृपा के कारण पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। मंत्रीजी के अनेक मित्र उन्हें इस अफसर से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन मंत्रीजी की आंख पर पट्टी बंधी हुई है। आजकल अफसर पूरे प्रदेश से जमकर बसूली करा रहा है। खास बात यह है कि यह भ्रष्ट अफसर विभाग की बैठकों में मंत्री के साथ उपस्थित रहता है।

 

*क्या सफल होगा सिरोंज में कांग्रेस का यह प्लान?*

कांग्रेस ने सिरोंज विधानसभा के लिए जो योजना तैयार की है यदि वह सफल हुई तो उसे कई सीटों पर फायदा होगा। कांग्रेस ने सिरोंज के लोकप्रिय जननेता रहे पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा की पत्नी को टिकट देने का प्रस्ताव भेजा है। खास बात यह है लक्ष्मीकांत जी के परिवार ने इस प्रस्ताव पर विचार करना शुरु कर दिया है। लक्ष्मीकांत जी का परिवार आज भी यह मानता है कि शिवराज सरकार ने व्यापम मामले में लक्ष्मीकांत जी को जबरन फंसा दिया था। वैसे इस समय सिरोंज से लक्ष्मीकांत जी के भाई उमाकांत शर्मा विधायक हैं, लेकिन वे भी लक्ष्मीकांत जी को न्याय दिलाने में सफल नहीं हुए हैं। कांग्रेस ने प्रस्ताव दिया है कि लक्ष्मीकांत जी की पत्नी सिर्फ लक्ष्मीकांत जी का चित्र लेकर चुनाव में उतर जाएं तो उन्हें कोई हरा नहीं सकता। यदि ऐसा हुआ तो मप्र में ब्राह्मण समाज का वोट कांग्रेस की ओर आ सकता है। कांग्रेस को केवल सिरोंज में ही नहीं, अनेक ब्राह्मण बहुल सीटों पर फायदा मिल सकता है।

 

*हरदा में घिरते जा रहे हैं कमल पटेल!*

मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल हरदा में बुरी तरह घिरते हुए नजर आ रहे हैं। जाट समाज के कोटे से शिवराज सरकार में मंत्री बने पटेल के खिलाफ उनकी समाज के लोगों ने ही मोर्चा खोल दिया है। हरदा में भाजपा के एक पुराने कार्यकर्ता का बेटा आनन्द जाट ने आम आदमी पार्टी का जिलाध्यक्ष बनकर सरकार की योजनाओं के खिलाफ बोलना शुरु किया तो कमल पटेल ने उसे जेल में डलवा दिया। जेल से छूटकर वह कमल पटेल के कथित भ्रष्टाचार और उनकी बेहिसाब सम्पत्ति की पोल खोल में लग गया है। भोपाल में हुए जाट सम्मेलन के बाद कमल पटेल के बेहद खास रहे संघनिष्ठ कार्यकर्ता दीपक जाट ने भी कमल पटेल का साथ छोड़ दिया है। दीपक का दावा है कि भाजपा के सौ से अधिक जाट कार्यकर्ता उनके साथ कांग्रेस में आ गये हैं।

 

*इस “अपेक्स घोटाले” को रोक सको तो रोक लो*

भोपाल के न्यू मार्केट में स्थित अपेक्स की ऊंची इमारत से बड़े भ्रष्टाचार की खबर आ रही है। फिलहाल हम भ्रष्टाचार की पुष्टी नहीं कर रहे हैं। लेकिन जो खबरें आ रही हैं वह बेहद गंभीर और चौंकाने वाली हैं। अपेक्स बैंक ने मप्र की जिला सहकारी बैंकों के लिये डेबिट कार्ड खरीदी का टेंडर किया है। पहले यह कार्ड 35 रुपये में खरीदा गया था। इस बार 130 रूपये में खरीदने की तैयारी है। तीन टेंडर भी सेटिंग से डाले जा रहे हैं। टेंडर डालने वाली तीनों कंपनियों की मिलीभगत का पता लगाने कुछ लोगों ने आरटीआई के आवेदन भी लगा दिये हैं। खास बात यह है कि जिला बैंकों से मात्र 7 लाख कार्ड की डिमांड आई है, लेकिन भोपाल से दबाव डालकर इसे जबरन 45 लाख किया जा रहा है। लगभग 60 करोड़ की इस डील में 15 करोड़ ऊपर के नाम पर मांगे गये हैं।

 

*सिंधिया समर्थकों की सांसें फुली हुई हैं!*

कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद मप्र में सिंधिया समर्थकों की सांसें फुली हुई हैं। दरअसल कर्नाटक की जनता ने बगावत करके कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराने वाले विधायकों को पसंद नहीं किया है। कर्नाटक में भाजपा ने 17 मे से 15 बागियों को टिकट दिया था। इनमें से 9 चुनाव हार गये हैं। इस परिणाम के बाद मप्र में भाजपा संगठन बड़ी संख्या में सिंधिया समर्थकों और उनके साथ बगावत करने वाले विधायकों की टिकट काटने पर विचार कर रहा है। सिंधिया के साथ बगावत करने वाले 22 विधायकों में से 7 उपचुनाव में हार गये थे। इन हरल्लों को टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है। लेकिन जो चुनाव जीतकर मंत्री बन गये उनकी भी हालत खराब बताई जा रही है। अधिकांश स्थानों भाजपाई ही इनका विरोध कर रहे हैं। वैसे सिंधिया आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। बताया जाता है कि उन्होंने समर्थकों के लिये अभी से दिल्ली में मोर्चा खोल दिया है।

 

*भाजपा का लहार फतह करने का प्लान*

इस सप्ताह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बंगले पर भिण्ड के भाजपा नेताओं की खास बैठक हुई। बैठक में सिर्फ इस विषय पर माथापच्ची हुई कि लहार विधानसभा सीट को कैसे जीता जा सकता है? कांग्रेस के डाॅ. गोविन्द सिंह पिछले सात बार से इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। वे फिलहाल मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। सीएम ने बैठक में मौजूद स्थानीय भाजपा नेताओं से पूछा कि डाॅ. गोविन्द सिंह को कैसे हराया जा सकता है? फिर उन्होंने सभी नेताओं को एकजुट होने का संकल्प कराया। चुनाव जीतने के कुछ टिप्स भी दिये। बैठक में सीएम के अलावा वीडी शर्मा, हितेंद्र शर्मा, रसाल सिंह, अम्बरीष शर्मा सहित अनेक नेता मौजूद रहे। खास बात यह भी है कि इस सप्ताह सीएम ने लहार विधानसभा क्षेत्र के रावतपुरा धाम में सपरिवार 16 घंटे बिताये थे। कुछ खास पूजा पाठ भी किया है। इधर लहार को लेकर सीएम के सक्रिय होने की खबर लगते ही डाॅ. गोविन्द सिंह ने भी नये सिरे से अपनी चुनावी रणनीति बनाना शुरु कर दिया है।

 

*और अंत में…!*

भोपाल नगर निगम बेशक जीते जी आपके साथ हो न हो, लेकिन मरने के बाद आपकी सेवा में नजर आएगा। महापौर मालती राय ने यह घोषणा भी कर दी है। शहर की तमाम सारी समस्याओं से बेखबर महापौर ने व्यवस्था कर दी है कि नगर निगम सीमा में मरने वालों के मृत्यु प्रमाणपत्र बिना मांगे उनके घर भेजे जाएंगे। निगम के अफसर शहर के सभी मरघट और कब्रिस्तानों में पहुंचने वाले शवों की जानकारी लेकर उनके घर पहुंचेंगे। उनसे आवश्यक दस्तावेज लेकर 24 घंटे में मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर उनके घर देने जाएंगे। वैसे व्यवस्था अच्छी है। लेकिन शहर के नागरिकों का कहना है कि नगर निगम यदि जीवित लोगों की मूल समस्याओं को भी इतनी गंभीरता से ले तो बेहतर होगा।