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टिकट मिलते ही भाजपा राष्ट्रीय महासचिव के बिगड़े बोल

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भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने जबसे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। तब से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टीयों में उथलपुथल मची हुई है। 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में इंदौर-1 से मैदान में उतारे गए भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक वीडियो में यह कहते नजर आए कि में चुनाव का टिकट मिलने से खुश नहीं हुँ और मेरी चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने तो खुद को बड़ा नेता घोषित करते हुए यहां तक बोल दिया कि अब जनता के हाँथ कौन जोड़े। इस बात को बोलते हुए नेताजी यह भी भूल गए कि इसी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने आपको कैलाश विजयवर्गीय से कैलाश जी बनाया है उसी जनता जनार्दन के हाँथ जोड़ने में परहेज? इस बात को लेकर इंदौर ही नहीं पूरे प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चा है कि कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद पद के नशे में चूर होकर अपने आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बराबर का नेता समझने लगे हैं। वहीं चर्चा तो यह भी है की भाजपा में एक परिवार में एक ही टिकट काकी नीति है। जिसके चलते कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र और इंदौर-3 से विधायक आकाश विजयवर्गीय का टिकट खतरे में पड़ गया है और इसीलिए पुत्र मोह के चलते नेताजी चुनाव लड़ने से नाखुश होने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं।

इंदौर -1 सीट से टिकट फाइनल होने के बाद भगवान गणेश जी के दरबार में पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक वीडियो में वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए खुलेआम टिकट मिलने पर खुश नहीं होने और मन से चुनाव लड़ने की इच्छा न होने की घोषणा कर सभी को हैरत में डाल दिया। कैलाश विजयवर्गीय ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी ने मुझे टिकट दिया है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं अंदर से खुश नहीं हूं क्योंकि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता, एक फीसदी भी नहीं।

कैलाश विजयवर्गीय के बिगड़े बोल कह दी बडी बात।

चुनावी मैदान में उतारे जाने से परेशान भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बड़े बोल बोलते हुए यहां तक कह दिया कि एक माइंडसेट होता है न चुनाव लड़ने का। मेरी तो चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी। अब हम बड़े नेता हो गए हैं। अब हाथ-वाथ जोड़ने कहां जाएंगे। सोचा था कि अपने को तो जाना है। भाषण देना और निकल जाना है – भाषण देना और निकल जाना है। हमने तो प्लान ये बनाया था कि रोज आठ सभा करनी हैं। पांच हेलीकॉप्टर से और तीन कार से, ये सब प्लान भी बन गया था।

अंदाजा नहीं था कि पार्टी मुझे टिकट देगी।

कैलाश विजयवर्गीय आगे कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने परसों मुझे कुछ दिशा-निर्देश दिए। जिससे मैं असमंजस में था और एलान होने के बाद मैं हैरान रह गया, पर आप जो सोचते हो वो होता कहां है। भगवान की जो इच्छा होती है वही होता है। भगवान की इच्छा थी कि मैं फिर से उम्मीदवार बनूं, जनता के बीच जाऊं लेकिन मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं उम्मीदवार हूं, सच कह रहा हूं। हालांकि इससे पहले उन्होंने ये भी कहा था कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे चुनावी राजनीति में भाग लेने का अवसर मिला और मैं पार्टी की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करूंगा।

पुत्र मोह के चलते छोड़ी सीट ताकि बेटा बने विधायक

2018 के चुनाव तक इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय विधायक थे। 2018 के चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय भी चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय सीएम शिवराज सिंह चौहान ने टिकट बंटवारे को लेकर ये साफ कर दिया था कि एक परिवार में एक से अधिक टिकट नहीं दिए जाएंगे। उस समय पुत्र मोह में फंसे कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बेटे आकाश को विधायक बनाने के लिए अपनी विधायकी कुर्बान कर खुद को चुनाव मैदान से दूर कर लिया और बेटे आकाश विजयवर्गीय को बीजेपी के टिकट पर इंदौर-3 विधानसभा सीट से मैदान में उतार दिया। बेटे को विधायक बनाने की चाहत में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-3 सीट की सीमा के बाहर बहुत कम ही प्रचार करते नजर आए थे।

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