When will the condition of cattle improve? Negligence persists in the veterinary hospital.
Special Correspondent, Katni, MP Samwad.
कटनी। मवेशियों के लिए ना जाने कितनी योजनाएं बनती हैं लेकिन फिर भी गोवंश को सही सुविधा नहीं मिल पा रही है मिली जानकारी के अनुसार झिंझरी स्थित पशु चिकित्सालय में गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता का मामले सामने आ रहे हैं। मूक मवेशियों की देखभाल में भारी कोताही बरती जा रही है, जिससे उनकी हालत और बिगड़ रही है। पर्याप्त देखभाल और इलाज के अभाव में यहां घायल और बीमार मवेशी दम तोडऩे को मजबूर हैं। यहां के डॉक्टर और कर्मचारी मवेशियों के इलाज और देखभाल के प्रति पूरी तरह उदासीन हो गए हैं। शिकायतें हैं कि अस्पताल में घायल व बीमार मवेशियों का न तो सही तरीके से इलाज हो रहा है और न ही उनके लिए भोजन-पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। अस्पताल परिसर में आवारा श्वान इन असहाय जानवरों पर हमला कर रहे हैं, जिससे कई मवेशी दर्दनाक मौत का शिकार हो चुके हैं।
समाजसेवियों और स्थानीय लोगों ने बार-बार प्रशासन का ध्यान इस गंभीर स्थिति की ओर दिलाने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता ने पशु चिकित्सालय को बदहाली के कगार पर पहुंचा दिया है। अस्पताल में न तो पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है और न ही बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। घायल और बीमार मवेशियों को संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आवारा श्वानों की मौजूदगी से स्थिति और भयावह हो गई है।
स्थानीय लोगों की मांग
नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि झिंझरी पशु चिकित्सालय में जल्द से जल्द व्यवस्थाएं सुधारी जाएं।
डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाते हुए कार्य के प्रति जवाबदेह बनाया जाए।
साथ ही मवेशियों की सुरक्षा के लिए आवारा श्वानों पर नियंत्रण किया जाए। यह गंभीर मामला प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही को उजागर करता है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मवेशियों के लिए और घातक साबित हो सकता है। स्थानीय प्रशासन को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। मूक प्राणियों की सुरक्षा और इलाज सुनिश्चित करना हर जिम्मेदार नागरिक और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है।
लोग फेंक जाते हैं मवेशी
इस मामले को लेकर डॉ. आरके सोनी का कहना है कि नगर निगम व समाजसेवी मवेशियों को यहां फेंककर चले जाते हैं। मौत होने पर हमारे द्वारा नगर निगम अमले को सूचना दी जाती है। उनके द्वारा कई बार विलंब कर दिया जाता है, जिससे कुछ घंटे देरी हो जाती है। परिसर खुला होने के कारण श्वान आ जाते हैं। यहां पर सिर्फ एक ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। समाजसेवियों से चंदा लेकर भूसा आदि की व्यवस्था कराते हैं। विभाग से कोई मदद नहीं मिलती। यहां पर सिर्फ उपचार मिलता है। मवेशियों की सेवा करने के बाद भी कुछ लोग वीडियो बनाकर वायरल कर रहे हैं। हकीकत यह है कि गौवशाला वाले घायल मवेशियों को नहीं रखते, यहां छोड़ जाते हैं। यहां पर सिर्फ चिकित्सा सुविधा देना जिम्मेदारी है। इसके बाद भी पानी और भूसा की व्यवस्था करते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या व्यवस्था की जाती है