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पानी के टैंकरों पर जीवन: विदिशा के पानी संकट ने बढ़ाई चिंता.

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Water tankers are the lifeline for Vidisha residents amid the ongoing water shortage crisis in the region.

Vidisha Water Crisis: Tankers Delivering Water Amidst Severe Shortage

Residents of Vidisha relying on tankers for water amidst a severe crisis and scorching heat.

Life on Water Tankers: Vidisha’s Water Crisis Raises Concerns.

Sitaram Kushwaha, Special Correspondent, Vidisha, MP Samwad.

Vidisha is grappling with a severe water crisis, with residents relying on tankers for water. The poor condition of the tankers, long queues, and delays are making life difficult, especially in the scorching heat. Despite efforts, the situation remains dire, raising serious concerns for the local population.

विदिशा। प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है, और विदिशा के करियाखेड़ा और टीलाखेड़ी इलाकों के लोगों के लिए पानी की एक बूंद तरस रही है। यहां के निवासी नगर पालिका के टैंकरों पर निर्भर हैं, जिनके लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि यह इलाका केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र में आता है, फिर भी “हर घर नल, हर नल में जल” जैसी योजनाएं यहां धरातल पर नजर नहीं आतीं।

टैंकर आया, भगदड़ मची

गर्मी में जब तापमान 40 डिग्री को पार कर जाता है, तो लोग खाली बाल्टियां और केन लेकर सड़कों पर इकट्ठा हो जाते हैं। टैंकर के आते ही भीड़ उमड़ पड़ती है—बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी पानी के लिए धक्का-मुक्की करते नजर आते हैं। किसी को दो केन पानी मिल पाता है, तो कोई खाली हाथ लौट जाता है।

जर्जर टैंकर, बर्बाद होता पानी

जिन टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है, उनकी हालत भी दयनीय है। टपकते टैंकरों से रास्ते भर पानी बह जाता है, जिससे आखिरकार लोगों तक पहुंचने वाली मात्रा और कम हो जाती है।

सरकारी सफाई: “80 फेरे लगा रहे हैं”

नगर पालिका के मुख्य अधिकारी दुर्गेश ठाकुर ने अनुसार, “हम रोजाना 80 फेरे लगा रहे हैं, ताकि हर इलाके तक पानी पहुंचे।” लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि लोगों की प्यास बुझाने के लिए यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है।

कौन है जिम्मेदार?

जल संकट के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि समाज भी जिम्मेदार है। जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी और भूजल दोहन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। अगर अब भी सचेत नहीं हुए, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।

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