FIR या फैंटेसी? विदिशा पुलिस की चूक ने खोली सिस्टम की पोल.


FIR or Fantasy? A Blunder by Vidisha Police Exposes the System’s Flaws.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
A bizarre case from Vidisha where police filed an FIR against two individuals who died 8-10 years ago. This incident raises serious concerns about police negligence, lack of verification, and systemic flaws in investigation procedures. Families demand justice after repeated ignorance by local police.
MP संवाद, विदिशा जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने हाल ही में दो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दिया जो 8 से 10 साल पहले ही इस दुनिया को विदा कर चुके हैं। यह घटना न केवल पुलिस की घोर लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि जांच प्रक्रिया में गहरी खामियों की भी पोल खोलती है।
मामला क्या है?
गंजबासौदा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बरेठ गांव में दो समुदायों के बीच कुछ दिन पूर्व विवाद हुआ था। यह मामला 17 जुलाई को थाने पहुंचा और पुलिस ने FIR दर्ज कर ली। लेकिन जब एफआईआर की सूची सार्वजनिक हुई, तो उसमें दो ऐसे लोगों के नाम भी शामिल थे जो वर्षों पहले निधन हो चुके थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि FIR दर्ज करने से पहले पुलिस ने न तो कोई सत्यापन किया, न ही कोई पुष्टि की।
शिकायत लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे परिजन
जब परिजनों को इस गलती की जानकारी हुई तो उन्होंने पहले थाने में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार फरियादी राजकुमार शर्मा जिला मुख्यालय पहुंचे और एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे से पूरे मामले की लिखित शिकायत की।
परिजनों की आपत्ति
राजकुमार शर्मा ने बताया कि जिन दो मृत व्यक्तियों के नाम एफआईआर में दर्ज किए गए हैं, वे वर्षों पहले ही दुनिया से चले गए थे। उन्होंने कहा, “हमने थाने में आवेदन दिया लेकिन हमारी बात को अनसुना कर दिया गया। इसलिए अब हम जिला स्तर पर न्याय की उम्मीद लेकर आए हैं।”
पुलिस की सफाई
एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, “एफआईआर में दर्ज कुछ नामों पर आपत्ति सामने आई है। दो मृत व्यक्तियों के नाम दर्ज होना हमारे संज्ञान में आया है। हमने जांच के निर्देश दे दिए हैं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।”