समुद्रों में अब भी दो करोड़ टन सोना छिपा, मिल जाए तो हो जाए दुनिया का बेड़ापार

नई दिल्ली:
 सोने की चमक ने हर युग में इंसान को अपनी ओर आकर्षित किया है। पुरातन काल से ही सोने का उपयोग गहनों और लेनदेन के साधन के रूप में किया जाता रहा है। मुसीबत के समय तो सोने की चमक और बढ़ जाती है। हाल में आम लोगों के साथ-साथ कई देशों के सेंट्रल बैंक्स ने जमकर सोने की खरीदारी की है। इससे सोने की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में अब तक केवल 208,874 टन सोने का ही खनन किया जा सका है। लेकिन समुद्रों में अब भी करीब दो करोड़ टन सोना छिपा है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी कीमत 771 ट्रिलियन टन हो सकती है। यह दुनिया की कुल जीडीपी से करीब सात गुना है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ल्ड इकॉनमी का साइज करीब 100 ट्रिलियन डॉलर की है।

अमेरिका की नेशनल ओशन सर्विस (National Ocean Service) के मुताबिक उत्तरी प्रशांत और अटलांटिक महासागर में हर एक  100 मिलिटन मीट्रिक टन पानी में एक ग्राम सोना है। इस तरह समुद्र में करीब दो करोड़ टन सोना छिपा है। इसकी कीमत करीब 771 ट्रिलियन डॉलर है। दुनिया में अब तक केवल 208,874 टन सोने का ही खनन किया गया है। सवाल यह है कि जब समुद्र में इतना सोना छिपा है तो उसे निकाला क्यों नहीं जा रहा है? लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। इसकी वजह यह है कि समुद्र से सोना निकालना काफी महंगा पड़ता है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक लीटर समुद्री पानी में एक ग्राम के 13 अरबवें हिस्से के बराबर सोना होता है। अभी कोई ऐसा सस्ता तरीका उपलब्ध नहीं है जिससे समुद्री पानी से सोना निकालकर प्रॉफिट कमाया जा सके।

पानी से सोना

हालांकि ऐसा नहीं है कि समुद्री पानी से सोना निकालने की कोशिश नहीं हुई है। कई इनवेंटर्स और इन्वेस्टर्स ने इसका प्रयास किया। 1890 के दशक में पेस्टर Ford Jernegan ने मरकरी और इलेक्ट्रिसिटी ट्रीटमेंट के जरिए Long Island Sound से सोना निकालने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने Electrolytic Marine Salts Company बनाई और 10 लाख डॉलर भी जुटा लिए थे। लेकिन जल्दी ही Jernegan सारा पैसा लेकर गायब हो गए। उसके बाद भी कई लोगों और संस्थाओं ने समुद्री जल से सोने को अलग करने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें नाकामी ही हाथ लगी।

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