The nexus between private schools, booksellers, and publishers.
बच्चों और अभिभावकों से पढ़ाई के नाम पर प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा की जा रही है लूट.
गाडरवारा। स्थानीय क्षेत्रीय निजी स्कूल संचालकों को मिल रहा है खुला संरक्षण लूट की छूट मिली हुई है हम आपको बता दें कि जिला प्रशासन निजी स्कूलों पर इतना मेहरबान है कि इन स्कूलों पर कार्यवाही करने की तो छोड़ो विद्यालय की मान्यता एवं नियमों के पालन ना होने पर देखने तक की भी फुर्सत नहीं है। वही नरसिंहपुर जिले के समीप जिला जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना के नेतृत्व में निजी स्कूलों की अवैध फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशको के विरुद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है। जिससे अभिभावक एवं बच्चों को राहत मिल रही है और निजी विद्यालय संचालक अपनी हेकड़ी मनमर्जी छोड़ नियम अनुसार संचालित कर रहे हैं। यह सब मामले संज्ञान में होने के बावजूद भी देखते हुए नरसिंहपुर जिला प्रशासन कुंभकर्ण की निद्रा में लीन है। और अधिक मुनाफा कमाने वाले स्कूलों को अपना संरक्षण प्रदान कर रहा है।
निजी स्कूल प्रबंधन चला रहे अपनी मनमर्जी
गाडरवारा क्षेत्र में स्कूल प्रबंधन अपना अलग नियम चला रहे हैं किस जगह से आपको पुस्तक मिलेगी किस जगह से आपको ड्रेस मिलेगी यह इनकी कमिशन युक्त दुकान फिक्स है। स्कूल प्रबंधन अपने निजी स्वार्थ और अधिक मुनाफा कमाने के लिए स्कूल से दुकान का नाम पता लिखकर किताबो और यूनिफॉर्म की स्लिप प्रदान कर रहे हैं। जहां पर स्कूल संचालकों का कमिश्नर फैक्स रहता है उसे दुकान को ही यह निजी स्कूल संचालक फिक्स करते हैं और वहां पर सभी सामग्री उपलब्ध होती है वही इन दुकानदारों द्वारा मनमाने दाम लगाकर पलकों अभिभावकों को लूटा जाता है।
स्कूल माफिया के बोझ में दबता जा रहा है अभिभावक
बच्चों की पढ़ाई में स्कूल की फीस कोचिंग स्टेशनरी का खर्चा इतना बढ़ गया है कि अभिभावक खर्चा बहन नहीं कर पा रहा है अपने बच्चों को पढ़ने के लिए अभिभावक जगह-जगह से कर्ज में डूबता जा रहा है जिला प्रशासन को सारी जानकारी होते हुए भी अनजान बन बैठा है।
अभिभावकों की जिला प्रशासन एवं शिक्षा मंत्री से लगी है बड़ी आस सरकारी विद्यालयों को सर्वगुण संपन्न कर हमारा जीवन करेंगे खुशहाल
निजी स्कूलों की अवैध फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाश को की साथ गांठ से अभिभावकों को आखिर कब छुटकारा मिलेगा यह एक बड़ा सवाल अभिभावकों के मन में खटक रहा है अभिभावकों की जिला प्रशासन शिक्षा मंत्री से यह भी आप है कि जिला प्रशासन स्कूलों की मनमानी पर कार्रवाई करेगा और उन्हें इतनी ल से छूट मिलेगी। वहीं अभिभावकों का शिक्षा मंत्री महोदय से कहना है कि जब सरकारी स्कूलों में कक्षा 12वीं की एन.सी.ई.आर.टी. किताबें 50 से 100 रूपए की मिल रही है तो प्राइवेट विद्यालयों में नर्सरी की 03 किताबें 1400 में मिल रही है क्यों ना प्राइवेट स्कूलों में भी सरकारी स्कूल की तरह एन.सी.ई.आर.टी. किताबों का उपयोग हो। मान्यता के समय सरकारी गाइडलाइन के अनुसार आदर्श गए नियमों का पालन न करने वाले निजी विद्यालयों पर हो करवाई जल्द प्राइवेट संस्थानों को किया जाए खत्म सरकारी स्कूलों को सर्वगुण संपन्न तकनीकी और प्राइवेट की तर्ज पर तैयार कर लगे हुए अनुभवी और उच्च स्तरीय शिक्षा दक्षता वाले सरकारी शिक्षकों को दिया जाए पढ़ने का अवसर।