

Procurement centers in Shahdol wear a deserted look as only 59 farmers sell wheat despite MSP launch
Only 59 Farmers Sold Wheat, Silence Prevails at Procurement Centers in Shahdol.
शहडोल में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू हुई, लेकिन अब तक केवल 59 किसानों ने गेहूं बेचा। पिछले अनुभवों से डरे किसान भुगतान देरी और फसल कटाई के चलते केंद्रों से दूर हैं। प्रशासन ने समय पर भुगतान का भरोसा दिलाया है।
Despite the launch of wheat procurement at MSP in Shahdol, only 59 farmers have sold their crop. Payment delays and ongoing harvesting are keeping farmers away from the centers, leaving procurement hubs eerily silent. Officials assure timely payments through new systems.
Special Correspondent, Shahdol, MP Samwad.
MP संवाद, शहडोल। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का कार्य तो शुरू हो गया है, लेकिन एक महीने के बाद भी अधिकतर गेहूं खरीदी केंद्र खाली पड़े हैं। किसान अब तक गेहूं बेचने के लिए केंद्रों तक नहीं पहुंचे हैं। केंद्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है, जिससे प्रशासन भी चिंतित है।
क्या है पूरा मामला?
शहडोल जिले में इस वर्ष 9880 किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण कराया है। इसके बावजूद अब तक केवल 59 किसानों ने ही अपने गेहूं की बिक्री की है। खरीदी गई कुल मात्रा 4852 क्विंटल है। जिले में 30 गेहूं खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से कई केंद्रों पर तो एक भी किसान नहीं पहुंचा है।
क्या है किसानों की परेशानी
खरीदी केंद्रों पर मौजूद कुछ किसानों से बात की, तो उन्होंने पिछली खरीदी में हुई भुगतान में देरी को बड़ा कारण बताया। किसानों का कहना है कि धान की खरीदी के बाद भुगतान मिलने में महीनों लग गए, जिससे उन्हें भारी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी वजह से किसान इस बार गेहूं बेचने को लेकर आशंकित हैं।
साथ ही, अभी कई किसानों की फसल की कटाई और गहाई का कार्य जारी है। उनका कहना है कि जैसे ही कटाई पूरी होगी, वे गेहूं लेकर खरीदी केंद्रों में पहुंचेंगे।
फूड कंट्रोलर ने क्या कहा?
शहडोल के जिला खाद्य नियंत्रक ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बार गेहूं की खरीदी नागरिक आपूर्ति निगम (Civil Supplies Corporation) के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया से किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा। जैसे-जैसे फसल कटाई आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे किसानों की संख्या खरीदी केंद्रों पर बढ़ेगी।