शिक्षा की इमारत ढह रही है! MP में 74% प्रोफेसर पद खाली.


The foundation of education is crumbling! 74% of professor posts vacant in MP.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
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MP संवाद, भोपाल प्रदेश सरकार ने बड़ा खुलासा करते हुए जानकारी दी है कि मध्यप्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में स्वीकृत सहायक प्रोफेसरों के 74 प्रतिशत पद खाली हैं। कुल 1,069 स्वीकृत पदों में से 793 पद अब तक भरे नहीं जा सके हैं।
यह जानकारी उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कांग्रेस विधायक संजय उइके द्वारा विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
इस उत्तर से प्रदेश के शैक्षणिक ढाँचे की जर्जर स्थिति सामने आई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पाँच सरकारी विश्वविद्यालयों में एक भी सहायक प्रोफेसर तैनात नहीं है।
इन विश्वविद्यालयों में शामिल हैं:
- राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा
- क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय, गुना
- क्रांति सूर्य तांत्या भील विश्वविद्यालय, खरगोन
- महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर
- रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय, सागर
इसका अर्थ है कि हजारों विद्यार्थी ऐसे संस्थानों में नामांकित हैं जहाँ उन्हें पढ़ाने के लिए एक भी पूर्णकालिक शिक्षक मौजूद नहीं है।
मंत्री के उत्तर के अनुसार, प्रदेश में 93 ऐसे शैक्षणिक विषय संचालित हो रहे हैं, जिनमें एक भी सहायक प्रोफेसर नहीं है। वर्तमान में सभी 17 विश्वविद्यालयों में सिर्फ़ 276 सहायक प्रोफेसर कार्यरत हैं, जो कुल आवश्यकता का एक तिहाई भी नहीं हैं।
केवल प्रोफेसरों की कमी ही नहीं, बल्कि लाइब्रेरियन की नियुक्तियों में भी भारी शून्यता है।
भाजपा विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय के सवाल पर मंत्री ने माना कि 582 स्वीकृत लाइब्रेरियन पदों में से केवल 236 ही भरे गए हैं, जबकि 346 पद रिक्त हैं।
विरोधाभास यह है कि हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने कई नए विश्वविद्यालयों की घोषणा की, उद्घाटन किए, लेकिन शिक्षकों की नियुक्ति को प्राथमिकता नहीं दी।
ये संस्थान अब प्रशासनिक लापरवाही, स्टाफ की कमी और बुनियादी संसाधनों के अभाव से जूझ रहे हैं। कई विश्वविद्यालय केवल नाम के लिए अस्तित्व में हैं — न संकाय हैं, न पुस्तकालय, न प्रयोगशालाएं, और न ही वो बुनियादी नेतृत्व जो भविष्य की पीढ़ियों को गढ़ सके।