खनिज पट्टा राजस्व में खनन हो रहा था वन भूमि पर, डीएफओ ने की निरस्त करने की अनुशंसा

भोपाल। विदिशा के 10 खनिज पट्टाधारकों ने वन भूमि पर खनन करने का नायाब तरीका अपनाया है। जंगल के आसपास के राजस्व भूमि पर खनिज पट्टा आवंटित कराते हैं और खनन वन भूमि पर कर अवैध परिवहन और विक्रय कर रहे हैं। मामला संज्ञान में आते ही डीएफओ ने कलेक्टर को पत्र लिखकर उसे निरस्त करने की अनुशंसा की है। दिलचस्प पहलू यह है कि मौजूदा डीएफओ के पहले यहां पदस्थ पूर्व के किसी भी डीएफओ की नजर वन भूमि पर हो रहे खनन के गोरखधंधों पर नहीं पड़ी। या यूं कहिए कि इस गोरख धंधे में पूर्ववर्ती डीएफओ भी रहे होंगे।


विदिशा डीएफओ ओंकार सिंह मस्कोले ने विदिशा कलेक्टर को पत्र लिखा है कि 7 अक्टूबर 2002 को जारी वन मंत्रालय के निर्देश है कि वन सीमा के 250 मीटर के अंदर उत्खनन पट्टा स्वीकृत न किया जाय। डीएफओ ने कलेक्टर को लिखे पत्र में वन भूमि सीमा से ढाई सौ मीटर के अंदर पूर्व में दिए गए राजस्व भूमि पर पट्टे निरस्त किए जाएं। वन विभाग के मैदानी अमले के अनुसार पट्टाधारकों ने राजस्व सीमा पर आवंटित पट्टे की आड़ में वन भूमि पर बड़े पैमाने पर खनन कर रहे थे। इन्हीं सूत्रों का कहना है कि पिछले 7-8 वर्षों में खनन कारोबारियों ने करीब 6000 हेक्टेयर वन भूमि पर खनन कर डाले। खनन कारोबारी के साथ वन विभाग के मिली भगत के भी संकेत मिले हैं। सवाल यह उठता है कि पूर्ववर्ती डीएफओ ने वन भूमि सीमा के ढाई सौ मीटर के अंदर खनन के लिए कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिए?

  • अब्दुल रहीम पुत्र अब्दुल करीम
  • बालकिशन यादव पुत्र उधमसिंह यादव
  • निरंजन सिंह पुत्र राजभान सिंह
  • राजीव रघुवंशी पुत्र जसवंत सिंह रघुवंशी
  • गिरीश पटेल
  • सचिन जैन पुत्र श्रीगल जैन
  • संजय जैन पुत्र श्रीमल जैन
  • प्रशान्त नायक पुत्र गोविन्द नायक
  • राहुल पलोड पुत्र रामनारायण

बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर रहे हैं पट्टा धारक

वन विभाग के मैदानी अमले के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत दिए गए पट्टा धारक भी सिरदर्द बनते जा रहे हैं। वनाधिकार के तहत पट्टे प्राप्त करने के बाद आदिवासी पट्टे की सीमावर्ती वन भूमि पर बेखौफ कब्जा करते चले जा रहे हैं। इस आशय की जानकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान एक छिंदवाड़ा सर्किल के डीएफओ ने एसीएस वन और वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव को दी है। मुख्यालय के अधिकारी भी मानते हैं कि यह समस्या अकेले छिंदवाड़ा सर्कल की नहीं है। पूरे प्रदेश से ऐसी खबरें मिल रही हैं। चूंकि चुनावी वर्ष है, इसलिए अधिकारी भी असमंजस में है कि उनके साथ कैसा सलूक किया जाए..?

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