Collector Ajay Shrivastav became the guardian of the visually impaired couple yesterday.
7 वर्ष पूर्व अपनों से बिछड़े बालक लवकुश को बिहार से ढूढ़ निकाला
उदित नारायण
मऊगंज। किसी नहीं सही कहा है कि ष्जहाँ चाहए वहाँ राहष् होती है तो रास्ता खुद ब खुद निकल आता है। यह पंक्ति नवगठित जिला मऊगंज के पहले कलेक्टर अजय श्रीवास्तव पर सटीक बैठती है। रीवा से अलग होकर नवगठित जिला मऊगंज में पहले बतौर कलेक्टर अजय श्रीवास्तव के प्रयासों ने एक नेत्रहीन दंपत्ति माता.पिता की नाउम्मीद को आशा में बदल दिया। उनकी एक पहल से 7 वर्ष से कुंभ से लापता हुआ बेटा वापस अपने घर आ गया। वह सात वर्ष से बिहार में बंधक था। जिसे कलेक्टर ने अपने कुशल अनुभव और सूझबूझ के चलते ढूढ निकाला है। कलेक्टर की संवेदनशीलता से नेत्रहीन माता.पिता का लवकुश अब अनाथ नहीं रहेगाए बल्िक उनके जीवन का सहारा बनेगा। उनके इन प्रयासों को जिले में खूब सराहा जा रहा है। लोग कह भी रहे हैं कि अफसर सिर्फ हुकुमरान नहीं होते हैं, बल्कि वे हम सबके मददगार होते हैं। बता देंए जब से कलेक्टर श्रीवास्तव यहां पदस्थ हुए हैंए तभी से वे जनसरोकार और नवाचार वाले प्रयासों से जनमानस में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
सर्च अभियान को किया सक्रिय
कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने चर्चा में बताया कि नेत्रहीन कमला साकेत पिता प्रहलादी साकेत मऊगंज जिले के ग्राम बराती के निवासी है। वे भीख मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं। सात साल पूर्व कुंभ के मेले से उनका 8 वर्षीय बेटा लवकुश अचानक लापता हो गया था। जिसे अज्ञात लोग पकड़कर बिहार के सहरसा जिला के गांव तासिमपुर थाना सलखुआ ले गए थे। जिसको 7 वर्ष तक बंधक बनाकर रखा और घर का पूरा काम करवाता था। नेत्रहीन कमला बीते दिनों कलेक्टर ऑफिस आए और अपनी आपबीती सुनाई जिस पर मैंने त्वरित प्रयास किए और एक टीम का गठन किया और ष्सर्च अभियानष् के लिए सक्रिय कर दिया। आखिरकार कुछ दिनों के सर्च अभियान के बाद गुमशुदा लवकुश वापस अपने मां-बाप के पास आ गया। यह तो जनता के प्रति हमारा दायित्व है। मुझे लगता है कि जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हर किसी को आगे आना चाहिए।
बासी रोटी खाकर करता था घर का पूरा काम
बेटा लवकुश ने बताया कि कोई अनजान व्यक्ति मेले से मुझे उठाकर अपने साथ ले गया था और अपने घर में रखकर घर का सारा काम करवाता था। यहां से मैं छूटा तो फिर मुझे कोई बिहार के जिला सहरसा के थाना सलखुआ के ग्राम तासिमपुर ले गया। यहां भी मुझसे घर का काम करवाया जा रहा था। बदले में सिर्फ मुझे घर की रोटियां और जूठन खाने को मिलती थी। अब मैं कलेक्टर अजय श्रीवास्तव के सराहनीय प्रयासों से अपने घर आ गया हूँ। अब मैं अपने जीवन को अपने माँ बाप के साथ रहकर गुजरूंगा। इसके लिए मैं कलेक्टर अजय श्रीवास्तव का आभारी हूँ।
कलेक्टर की पहल पर नेतृहीन दंपत्ति को मिला सहारा
नेत्रहीन दंपत्ति कमला साकेत ने बताया कि बेटा लवकुष की तलाष में सात साल गुजर गए, अब जाकर कलेक्टर अजय श्रीवास्तव के प्रयासों से मेरा बेटा घर वापस आ गया। इससे बडी मेरे लिए और कोई खुषी नहीं हो सकती है। बताया जाता है कि बेटा जब सामने आया तो नेतृहीन दम्पत्ति की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और उनके आंशु रोके नहीं रुके। उनके श्रीमुख से एक ही लफ्ज निकला की कलेक्टर हो तो अजय श्रीवास्तव जैसा। जो अच्छे हुकुमरान तो है ही इसके साथ ही जनसरोकारों से किसी के रूधे हुए जीवन को खुशियाँ भी देते हैं।
अति उत्तम, शत शत नमन है कलेक्टर शाहब को