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क्या कटनी का मेडिकल कॉलेज जनता का होगा या निवेशकों का धंधा?

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Public anger over Katni medical college PPP model, concerns on costly treatment and privatization

Will Katni’s medical college belong to the people or become a business for investors?

Mohan Nayak, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.

The long-awaited medical college in Katni has finally been announced, but instead of a government institution, the PPP model has raised public anger. Citizens fear costly treatment and education under private influence. Locals call it a betrayal, questioning if the college will serve the people or investors.

MP संवाद, कटनी की वर्षों पुरानी मांग थी सरकारी मेडिकल कॉलेज की। जनता ने उम्मीद की थी कि जैसे जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा को सरकारी मेडिकल कॉलेज मिले हैं, वैसे ही कटनी को भी मिलेगा। लेकिन सत्ता ने जनता की चाहत को किनारे कर पीपीपी (PPP) मॉडल थमा दिया—यानि आधा-अधूरा मेडिकल कॉलेज, जो नाम का तो सरकारी है, लेकिन असल में निजी हाथों का कारोबार।


राजनीतिक तामझाम, जनता का छलावा

सोमवार को जबलपुर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। बीजेपी नेताओं ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए ढोल-ढमाके किए, तस्वीरें खिंचवाईं और राजनीतिक क्रेडिट लेने की होड़ मचाई।
लेकिन हकीकत यह है कि जनता इसे जश्न की तरह नहीं, बल्कि छलावे की तरह देख रही है। लोगों का सवाल है—कटनी के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों? क्या यहां के नागरिक दूसरे दर्जे के हैं, जिन्हें सरकारी नहीं, निजी मॉडल से ही समझौता करना पड़ेगा?

महंगे इलाज से टूटेगी आमजन की उम्मीद

पीपीपी मोड पर बनने वाला कॉलेज भले ही आधुनिक सुविधाएं दिखाए, लेकिन इलाज और पढ़ाई दोनों ही महंगे होंगे। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह सपना उनकी जेब से बाहर साबित होगा।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस फैसले की तीखी आलोचना की।

  • राजा जगबानी (समाजसेवी एवं वरिष्ठ कांग्रेसी): “मेडिकल कॉलेज को लेकर जो सपने दिखाए गए थे वह अधूरे हैं और जनता का भला नहीं करेंगे।”
  • सौरभ सिंह (पूर्व विधायक एवं ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष): “यह कॉलेज आम जनता के विपरीत है, नागरिकों को सस्ता इलाज नहीं मिलेगा।”
  • सत्यदेव चतुर्वेदी (वरिष्ठ पत्रकार): “पहले जबलपुर वाले धोखा देते थे, अब कटनी वाले भी। जनता ने बीजेपी को साथ दिया, लेकिन सरकार ने मेडिकल कॉलेज के नाम पर धोखा किया।”
  • सुनील मिश्रा (पूर्व विधायक): “जिले की जनता को सस्ता इलाज चाहिए था, लेकिन राजनीति हावी हो गई।”

जनता का सवाल—कॉलेज जनता का या निवेशकों का?

कटनी को मेडिकल कॉलेज मिला, यह सही है। लेकिन उतना ही बड़ा सवाल यह भी है कि यह कॉलेज जनता का होगा या निवेशकों का धंधा?
जनता सरकारी मेडिकल कॉलेज चाहती थी, लेकिन सरकार ने निजी मॉडल थमा दिया। यह केवल फैसला नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं से किया गया खिलवाड़ है।

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