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रायसेन में जल जीवन मिशन की जमीनी हकीकत: घोषणाओं से प्यास नहीं बुझती.

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Women carrying pots for water in Bamhori village, Raisen under failed Jal Jeevan Mission

The Ground Reality of Jal Jeevan Mission in Raisen: Announcements Don’t Quench Thirst.

Special Correspondent, Raisen, MP Samwad.

Dry taps and struggling villagers expose the failure of Jal Jeevan Mission in Bamhori, Raisen. Despite pipelines and boards, not a single drop has reached homes. Women and children fetch water daily from unsafe sources. Development remains incomplete when water still flows through pots, not taps.

MP संवाद, रायसेन, बम्होरी।जल जीवन मिशन’ का उद्देश्य था कि 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में पाइपलाइन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए। सरकार की मंशा नेक रही, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना की हकीकत कई जगहों पर कड़वी साबित हुई है।
रायसेन जिले का बम्होरी गांव इस विफलता की एक जीती-जागती मिसाल है।


ग्रामीणों का सवाल: “पानी आया क्यों नहीं?”

बम्होरी गांव, जो ग्राम पंचायत खमरिया निवावर के अंतर्गत आता है, में लगभग दो साल पहले घर-घर पाइपलाइन बिछाई गई थी। कुछ घरों में नल भी लगाए गए और दीवारों पर ‘जल जीवन मिशन’ के चमचमाते बोर्ड भी टंग गए।
लेकिन हकीकत यह है कि जब नल खोलते हैं, सिर्फ हवा निकलती है — पानी नहीं।

ग्रामीणों के अनुसार, योजना के तहत पाइप तो बिछा दिए गए, लेकिन उन्हें किसी जलस्रोत या टंकी से जोड़ा ही नहीं गया। आज तक एक भी बूंद पानी इन नलों से नहीं आई। मजबूरी में लोग एक किलोमीटर दूर हाईवे किनारे बने पुराने कुएं से पानी लाते हैं, जो गर्मियों में सूखने की कगार पर पहुंच जाता है।


⚠️ बीमारियों की चपेट में गांव

शुद्ध पेयजल की कमी के चलते गांव में डायरिया, स्किन इंफेक्शन और पेट की बीमारियों में इज़ाफा हो रहा है।
कुएं का पानी साफ नहीं, लेकिन कोई विकल्प भी नहीं। बच्चों की सेहत पर इसका सीधा असर हो रहा है, और इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना भी आसान नहीं।


🏢 प्रशासन की प्रतिक्रिया: सर्वे का आश्वासन

रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा का कहना है:
“जहां इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं, वहां दोबारा सर्वे कराकर समाधान कराया जाएगा।

लेकिन अब बम्होरी के ग्रामीण सिर्फ जवाब नहीं, बदलाव देखना चाहते हैं।


⚖️ राजनीति और ज़िम्मेदारी के बीच उलझी योजना

बम्होरी में जल जीवन मिशन की स्थिति बताती है कि सिर्फ घोषणाओं और बोर्ड लगाने से विकास नहीं होता।
पाइपलाइन बिछ गई, बजट भी पास हुआ, लेकिन पानी नहीं आया। सवाल है – गलती कहां हुई?

ग्रामीणों का आरोप है कि इसमें पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार, ठेकेदारों की लापरवाही और निगरानी की कमी मुख्य कारण हैं।


🗺️ मध्यप्रदेश के कई गांवों में दोहराई जा रही कहानी

बम्होरी अकेला गांव नहीं है। छिंदवाड़ा, दमोह, डिंडोरी, बैतूल, रीवा, विदिशा और रायसेन जैसे जिलों में भी कई ग्रामीण इलाकों में जल जीवन मिशन अधूरा और असफल नजर आता है।


🚰 ‘हर नल में जल’ नहीं, ‘हर मटके में जल’ की हकीकत

सरकार का नारा था – ‘हर नल में जल’। लेकिन हकीकत है – ‘हर मटके में जल’।
बम्होरी की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय योजना की विफलता की प्रतीक बन चुकी है।

विकास तब माना जाएगा जब –

  • बेटियों के सिर से मटका हटे और किताबें हों हाथ में।
  • बुजुर्गों को टोटी से जल मिले, न कि कुएं से घसीटकर।

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