फसल नहीं, बारदाना हजम कर गए अधिकारी! ग्वालियर में करोड़ों का घोटाला.


Crops Not Swallowed, But Sacks Were! Officials Behind Multi-Crore Scam in Gwalior.
Special Correspondent, Gwalior, MP Samwad.
A massive scam has been exposed in Gwalior’s cooperative sector, where officials from cooperative banks and societies embezzled ₹6.41 crore by selling jute sacks meant for grain procurement. Despite complaints and investigation orders, no concrete action has been taken, raising questions on administrative integrity.
MP संवाद, ग्वालियर। जिले में सहकारी संस्थाओं में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आरोप है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के प्रशासक, समिति प्रबंधकों और सेल्समैनों ने आपस में मिलकर कुल 641.75 लाख रुपए का बारदाना बेचकर गबन कर लिया। इस मामले में शिकायत मिलने पर सहकारिता मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता भगवान सिंह यादव द्वारा की गई शिकायत में यह खुलासा हुआ है कि जिले की 27 सहकारी समितियों के जिम्मेदार लोगों ने वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक गेहूं, धान और सरसों की फसल के उपार्जन हेतु भेजे गए बारदाना को शासन को लौटाने की बजाय 89.39 लाख रुपए में बेचकर बंदरबांट कर ली।
बारदाना वापसी की जगह बेच डाला!
राज्य शासन समर्थन मूल्य पर फसलों के उपार्जन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन वितरण का कार्य सहकारी संस्थाओं के माध्यम से करता है। नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड इन संस्थाओं को उपार्जन के लिए खाली बारदाना उपलब्ध कराते हैं। यह बारदाना नियमानुसार वापसी योग्य होता है।
हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, 44 समितियों के पदाधिकारियों ने वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक भेजा गया बारदाना लौटाने के बजाय 289.50 लाख रुपए का गबन कर लिया। वहीं, 72 समितियों के 72 कर्मचारियों और 10 प्रशासकों पर भी 262.68 लाख रुपए का गबन करने का आरोप है।
शासन और विभाग की आंखों के सामने लूट!
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि बारदाना बेचकर प्राप्त की गई राशि न तो समितियों के खातों में जमा कराई गई और न ही शासन को लौटाई गई। घोटाले का कुल आंकड़ा 641.75 लाख रुपए तक पहुंच गया है।
सबसे गंभीर बात यह है कि पूर्व में जिलाधीश और बैंक प्रशासकों ने सहकारिता अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे यह स्पष्ट होता है कि घोटाले में विभागीय मिलीभगत भी हो सकती है।
जांच का आदेश भी ठंडे बस्ते में!
पूर्व में सहकारिता विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने ग्वालियर प्रवास के दौरान कुछ अधिकारियों को निलंबित कर जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन मामला अब तक ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।