Due to the negligence of public representatives and officers, the road from Jagannath Chowk to Ghantaghar was not built, the condition is patheti
कटनी विशेष संवाददाता
कटनी। आखिर जनता किसे अपना दुख रो शहर की प्रमुख सड़क खून के आंसू रो रही है और जनता परेशान हैं कुछ चाहते हैं सड़क बने तो कुछ चाहते हैं कि ऐसे ही चला रहे काम इस सड़क में कई ट्रांसपोर्ट भी हैं जिससे भयंकर जाम की स्थिति बनती है कई बार नोक जोक होने के बावजूद भी नतीजा कुछ नहीं निकला जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक की 900 मीटर लंबी सडक़, नागरिकों के लिए नासूर बन चुकी है। इस सडक़ की हालत बेहद खस्ता है और नगर निगम ने केवल अधूरा बेस बनाकर इसे छोड़ दिया है। हालांकि, यहां 12 मीटर चौड़ी सडक़ बनने का प्रस्ताव है, जो अभी किसी सपने से कम नहीं है। अब यह सडक़ खाईनुमा बन चुकी है। हर दिन इस मार्ग पर हादसे हो रहे हैं और जाम के हालात बनते हैं, जिससे हजारों लोग असुविधा का सामना कर रहे हैं। कई साल से जनता को हो रही इस पीड़ा से जनप्रतिनिधियों, अफसरों को कोई सरोकार नहीं है। 1 अक्टूबर को चक्काजाम के बाद महापौर प्रीति सूरी और प्रभारी आयुक्त शिशिर गेमावत ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया था कि नवरात्र के बाद काम शुरू हो जाएगा, लेकिन दीपावली के बाद भी राह आसान नहीं दिख रही।
जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक सडक़ बनाने में वर्षों से लापरवाही का आलम जारी है। हर दिन इस अधूरी और जर्जर सडक़ से न केवल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि लोग इस मार्ग पर चलना अब असहज महसूस करने लगे हैं।
शहर के प्रमुख शक्तिपीठ जालपा मढिय़ा जाने का यह प्रमुख मार्ग है, बावजूद इसके जिम्मेदार बेसुध हैं। नगर निगम के अधिकारी हों या जनप्रतिनिधि, उनकी सुस्ती ने इस सडक़ को खतरनाक बना दिया है
इस सडक़ के लिए अगस्त-सितंबर 2023 में टेंडर की प्रक्रिया हो गया है, लेकिन अबतक सडक़ नहीं बन पाई। शीघ्र सडक़ का निर्माण हो, इसको लेकर नागरिक बताते हैं कि शहर के विधायक को इस सड़क पर कोई खास रुचि नहीं है जिससे आम नागरिक पीड़ा झेल रहे हैं लोग यह भी बताते हैं कि कई जिम्मेदार इस सड़क पर ध्यान ही नहीं लगाते हैं
जानकारी के मुताबिक दो साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद यहां न तो काम पूरा हुआ, ना ही लोगों की तकलीफें कम हुईं। अधिकारियों ने सिर्फ बेस बनवाकर काम अधूरा छोड़ दिया है। 12 मीटर चौड़ी सडक़ का वादा कागजों तक सीमित रह गया है और जनता असुविधा झेलने को मजबूर है।
कई बार कोशिश नतीजा सिफर
सडक़ के दोनों ओर अतिक्रमण का हाल यह है कि पैदल चलना भी दूभर हो गया है। वहीं जिनकी जमीन सडक़ निर्माण में आ रही है, उन्हें अभी तक 135 लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। जनप्रतिनिधियों के वादों के बावजूद, इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अधिकारियों की धीमी कार्यप्रणाली और मुआवजा देने में हील-हुज्जत ने निर्माण कार्य को ठप कर दिया है। अबतक न तो निर्धारण हुआ और ना ही निर्णय।
इस सडक़ का निर्माण वोट बैंक की राजनीति, दो नेताओं में आपसी मत और मनभेद की राजनीति के चलते जनता की असुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी जनता के हितों को प्राथमिकता देने के बजाय राजनीति कर रहे हैं, जिससे काम में देरी हो रही है और समस्या जस की तस बनी हुई है।
शहर के 80 प्रतिशत लोगों को सीधा लाभ अब देखना यह दिलचस्प होगा कि यह वादा कब तक पूरा किया जाता है
इनका कहना है
घंटाघर से जगन्नाथ चौक तक सडक़ चौड़ीकरण व निर्माण के लिए अतिक्रमण व अधिग्रहण की कार्रवाई होना है। मुआवजा राशि के निर्धारण को लेकर चर्चा की गई है, कुछ प्रक्रिया बाकी है, जिसे पूरा किया जा रहा है। नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। नवंबर माह में पूरी प्रक्रिया अपना ली जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त, नगर निगम।