फैसला :उच्च न्यायालय ने महिला के अपने पसंद के व्यक्ति से विवाह के अधिकार को बरकरार रखा

तिरुवनंतपुरम

पसंद के व्यक्ति से विवाह से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत का कहना है कि माता-पिता का प्यार बच्चे के पसंद के जीवनसाथी चुनने से नहीं रोक सकता है। साथ ही कोर्ट ने युवती को पिता की कस्टडी से बाहर लाए जाने के निर्देश दिए हैं। खबर है कि याचिकाकर्ता युवक के दूसरे धर्म के होने के चलते पिता को रिश्ते से आपत्ति थी।

उच्च न्यायालय ने महिला के अपने पसंद के व्यक्ति से विवाह के अधिकार को बरकरार रखा है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस राजा विजयराघवन वी औ जस्टिस पीएम मनोज की डिवीजन बेंच कर रही थी। याचिकाकर्ता जर्मनी में मास्टर्स डिग्री का छात्र है। उसका दावा है कि वह प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर काम कर रही महिला के साथ रिश्ते में था।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि महिला के पिता को अलग-अलग धर्म होने की वजह से आपत्ति थी, जिसके बाद उसे कस्टडी में रख लिया था। खास बात है कि कोर्ट ने युवती, उसके पिता और याचिकाकर्ता से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात की थी और जानकारी हासिल की थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, चर्चा के दौरान 27 वर्षीय युवती ने बताया कि इच्छा के खिलाफ उसके पिता ने उसे रखा हुआ था। साथ ही उसने याचिकाकर्ता के साथ रहने की इच्छा जाहिर की थी। इस दौरान अदालत ने शाफीन जहां बनाम अशोकन केएम केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया। अदालत ने आगे कहा कि जब तक यह किसी कानून का उल्लंघन नहीं करती है, तब तक एक व्यक्ति की पसंद का सम्मान होना चाहिए।

बेंच ने कहा था, 'माता-पिता का प्यार या चिंता की वजह से किसी वयस्क युवती के अपने पसंद के पुरुष को चुनने के अधिकार को बाधित नहीं करने दिया जा सकता है।'

 

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *