Big news regarding the post of National President of BJP: Sanjay Joshi may become the “National President”
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव संजय जोशी अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते है।
नई दिल्ली ! सूत्रों के मुताबिक संजय जोशी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसी के साथ पार्टी पार्टी के मंत्रियों से मिलना-जुलना शुरू हो गया है। भाजपा की वर्तमान राजनीति में यह नाम निश्चित ही चौंकाने वाला है। ऐसा नहीं है कि जोशी इस पद के योग्य नहीं है, उनकी गिनती कुशल संगठकों में होती हैं। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि वर्तमान भाजपा में जिन नेताओं का दबदबा है, जोशी की उनके साथ बिलकुल भी पटरी नहीं बैठती।
दरअसल, जगत प्रकाश नड्डा का भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्म हो चुका है। वे एक्सटेंशन पर चल रहे हैं। पार्टी की एक व्यक्ति एक पद की नीति में भी फिट नहीं बैठते। ऐसे में अध्यक्ष के लिए नए नामों की चर्चा है। इन्हीं में एक नाम संजय जोशी का भी है। जोशी के बारे में कभी उनके सहयोगी रहे गोरधन झड़ाफिया ने कहा था- ‘अपार क्षमता वाले एक मूक कार्यकर्ता हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं’। भाजपा को बहुत अच्छे से समझते हैं जोशी : मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री वाले 62 वर्षीय संजय जोशी भाजपा के ‘मैकेनिज्म’ को भी बखूबी समझते हैं। वे संघ के पूर्वकालिक प्रचारक हैं। 1989-90 में संजय जोशी को आरएसएस ने संगठन को मजबूत करने के लिए गुजरात भेजा था। उस समय उन्हें संगठन मंत्री का पद दिया गया था, जबकि नरेन्द्र मोदी संगठन मंत्री के रूप पहले से ही काम कर रहे थे। दोनों ने ही मिलकर पार्टी को मजबूत किया और 1995 में भाजपा ने पहली बार गुजरात में सरकार बनाई। दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं : गुजरात में 1998 में भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई। कहा जाता है कि मोदी उस समय गुजरात आना चाहते थे, लेकिन जोशी के कारण ऐसा नहीं हो सका। इसी के बाद दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गईं। केशुभाई फिर राज्य के सीएम बने। 2001 में राजनीतिक समीकरण बदले और मोदी की गुजरात में वापसी हुई और वे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए। कहा जाता है कि मोदी ने गुजरात लौटने के बाद संजय जोशी को दिल्ली रवाना करवा दिया। हालांकि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। 2001 से 2005 के कार्यकाल में जोशी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और मध्य प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने का काम किया। सीडी विवाद के बाद जोशी नैपथ्य में चले गए। संघ के करीब हैं जोशी : जोशी और मोदी के संबंधों की खटास किसी से भी छिपी नहीं है, लेकिन जोशी कई मौकों पर मोदी की तारीफ कर चुके हैं। नागपुर में जन्मे संजय जोशी संघ के काफी करीब हैं। वे पूर्णकालिक प्रचारक के तौर पर संघ में सक्रिय भी हैं। जेपी नड्डा के बयान कि भाजपा अब बड़ी हो गई है, उसे संघ की जरूरत नहीं है, इस बयान को लेकर संघ में नाराजगी है। संघ भी चाहता है कि अध्यक्ष पद पर संघ के प्रति समर्पित कोई व्यक्ति बैठे। यदि जोशी इस पद पर बैठते हैं तो संघ सरकार पर भी शिकंजा कस पाएगा।
संजय जोशी वास्तव में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो यह भारतीय जनता पार्टी के भविष्य के लिए बेहद सुनहरा अवसर होगा आदरणीय संजय जोशी जी एक कर्मठ कर्मनिष्ठ भाव से कार्य करने वाले स्वयंमेव है और राष्ट्रीयता का भाव कूट कूट कर भरा हुआ है वर्तमान परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी आयातित कार्यकताओं के बदौलत जो साम्राज्य खड़ा करने कि कोशिश कि है वह बेवजह किया गया है इसके कोई कारण नहीं है बल्कि बिना सोचे-समझे बिना विचार किए निर्णय का परिणाम है कि आज कांग्रेस मय भारतीय जनता पार्टी बनकर रह गया है इससे हम जैसे कार्यकताओं को काफी धक्का लगा और घर बैठ गया और ऐसे हजारों हजार कि संख्या में कार्यकर्ता घर बैठ गए क्योंकि आयातित कार्यकताओं कि वजह से स्वत ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया या वह आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया वर्तमान परिस्थितियों में एक कर्मनिष्ठ भाव वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष कि जरूरत है और यह जरुरत संभवतः संजय जोशी जी पुरा करने कि दक्षता रखते हैं!!