जिला बदर होने के बाद भी कच्ची शराब विक्रय के आरोप से दोषमुक्त.

Acquitted of charges of selling illicit liquor.

हरिप्रसाद गोहे
आमला।। थाना आमला पुलिस ने 11 अक्टूबर 2023 को बस स्टैंड निवासी आरोपी को अवैध कच्ची शराब विक्रय करते हुए मौके से गिरफ्तार किया था ।

Amla; Betul; Sahara Samachaar;

आरोपी के कब्जे से चार प्लास्टिक की केन में 57 लीटर अवैध कच्ची शराब बरामद की थी थाना आमला पुलिस के ए एस आई राम मोहन यादव ने मौके पर ही शराब के सैंपल निकाल कर जांच हेतु भेजा था आबकारी उप निरीक्षक राजेश भट्टी ने शराब का परीक्षण कर अवैध कच्ची शराब होना पाया था । आरोपी के विरुद्ध 34,( 2 )आबकारी अधिनियम के तहत तथा मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम धारा 14 के तहत अपराध दर्ज किया था । विवेचक राम मोहन यादव ने मामले की तहकीकात कर पुलिस कर्मचारी आरक्षक मंगेश एवं अजय व गवाह सोनू और राजू के समक्ष जप्ती पंचनामा तैयार कर मौके पर गवाहों के बयान लेकर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया था ।

विचारण के दौरान न्यायालय में उपस्थित साक्षी राजू कैथवास एवं सोनू रावत ने उनके समक्ष शराब जप्त होने से इनकार किया था आरक्षक मंगेश एवं विवेचना अधिकारी राम मोहन यादव के कथनों में विरोधाभास होने के कारण कथनों को न्यायालय ने विश्वसनीय नहीं माना बचाव पक्ष के वकील राजेंद्र उपाध्याय ने न्यायालय में तर्क दिया कि आरोपी को जिलाबदर का सूचना पत्र प्राप्त होने के बाद जिला कलेक्टर बैतूल के आदेश 11/9/23 के परिपालन में आरोपी 15 दिन के अंतराल में एक बार थाना आमला में उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करवाने का पालन कर रहा था तथा वह किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि में लिप्त नहीं था उसे थाना आमला के एक अन्य अवैध कच्ची शराब विक्रय विक्रय करने के मामले में उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिली हुई थी जिसका थाना आमला पुलिस ने समय पर अभियोग पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया था ।

विवेचना अधिकारी ने रात्रि 9.30 बजे शराब जप्त कर सीलबंद कर उस पर अपराध क्रमांक 743/23 की पर्ची लगाकर सीलबंद किया जबकि जप्त शराब का पंचनामा पत्र तैयार करते समय उस पर अपराध क्रमांक नही लिखा थाना आमला में 10.20 बजे अपराध दर्ज किया गया ऐसे में मौके पर पुलिस अधिकारी को अपराध पंजीबद्ध होने की और अपराध क्रमांक की जानकारी कैसे हो सकती है । जबकि विवेचना अधिकारी ने रोजनामचा वापसी 10.21 बजे दर्ज की है । आरोपी को अपराध में झूठा लिप्त किया गया है । अभियोजन अधिकारी की ओर से तर्क दिया गया कि आरोपी आदतन अपराधी है उसके ऊपर पूर्व में भी कई अपराध दर्ज है इसलिए कठोर दंड से दंडित किया जाए न्यायाधीश राकेश सनोडीया ने अभियोजन का मामला संदेह से परे प्रमाणित न करने के कारण आरोपी को आबकारी अधिनियम की धारा 34 (2) के आरोप से दोष मुक्त कर दिया ।

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