

Investigation delay reveals adulteration and overpriced purchases at MFP Park
Delay in Investigation and Exposure of Adulteration: The Untold Story of MFP Park.
In MFP Park, delayed investigations expose severe procurement irregularities and adulteration. Allegations emerge over overpriced material purchases. Administrative directives remain unfulfilled while discrepancies widen. Alleged corruption involves multiple stakeholders. The report calls for immediate accountability, ensuring transparency and effective governance to restore public trust in procurement and supply chain management.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
एमएफपी पार्क बरखेड़ा पठानी में रॉ मटेरियल खरीदी में अनियमितताओं की जांच एक साल से लंबित है। लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभास ठाकुर द्वारा जारी किए गए निर्देशों के बावजूद, जांच में ठोस प्रगति नहीं हो रही है।
क्या हुआ?
- निर्देश जारी:
31 जनवरी ’25 को विभास ठाकुर ने एमएफपी पार्क की सीईओ, गीतांजलि को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि गुग्गल की खरीदी, जिसकी निर्धारित दर 930 रुपए प्रति किलोग्राम होने के बजाय 1700 रुपए प्रति किलोग्राम से की गई है, की जांच सात दिनों में बिंदुवार रिपोर्ट सहित प्रस्तुत की जाए। - अनुत्तरदायी कार्रवाई:
एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद, पार्क की सीईओ ने एमडी के निर्देशानुसार जांच प्रारंभ नहीं की। फेडरेशन के एमडी ने पूर्व सीईओ को भी दो से अधिक पत्र लिखे, परंतु एमएफपी पार्क में उनके पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। साथ ही, हाल ही में एमडी ने दो डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए, जिनका अब तक कोई जवाब नहीं आया। - भंडारण जांच में देरी:
पूर्व में विभास ठाकुर ने भंडारण की जांच हेतु एसीएफ मणि शंकर मिश्र को 7 दिनों में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक जांच प्रारंभ नहीं हुई। चिंताजनक बात यह है कि दस्तावेज़ मांगने के लिए लगातार पत्र लिखने के तुरंत बाद एसीएफ मणि शंकर मिश्र को हटा दिया गया।
क्या है मामला?
एमएफपी पार्क की तत्कालीन प्रबंधक अहिरवार ने गुग्गल सहित प्रष्टपर्णी, काली मिर्च, हींग, पुनर्नवा आदि रॉ मटेरियल की खरीदी के लिए टेंडर जारी किया था। टेंडर में गुग्गल के लिए हर्बल ऑटोमेशन, हरिद्वार का रेट 930 रुपए प्रति किलोग्राम बताया गया था।
लेकिन, एमएफपी पार्क के कर्ताधर्ता ने हर्बल ऑटोमेशन से न होकर, आर्यन फार्मेसी से 1700 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर 4000 किलोग्राम खरीदी की। इस अनुचित खरीद के कारण संघ को लगभग 30,80,000 रुपए का अधिक भुगतान करना पड़ा। साथ ही, प्रभारी एसडीओ एवं उत्पादन प्रबंधक सुनीता अहिरवार के कार्यकाल में 6 करोड़ रुपए की सरकारी सप्लाई में से 3 करोड़ रुपए से अधिक की रॉ मटेरियल खरीदी का भुगतान किया गया, जिसमें 2 करोड़ रुपए के बिल आर्यन फार्मेसी के थे। अतिरिक्त रूप से 30-35 लाख रुपए के मरम्मत के भुगतान भी किए जा चुके हैं।
निष्कर्ष
एमएफपी पार्क में हुई इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रशासनिक निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन में गंभीर बाधाएँ हैं। संबंधित अधिकारियों से अपील है कि जल्द से जल्द जांच प्रारंभ कर उचित रिपोर्ट प्रस्तुत करें, ताकि आगे किसी भी तरह की अनियमितता को रोका जा सके।
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