

Jabalpur court directs FIR against a fake doctor for securing a job with fraudulent documents.
Big scam in Madhya Pradesh! Fake degree used to get a job at Jabalpur hospital, court orders FIR registration.
Source NDTV MPCG, Edited By MP Samwad.
जबलपुर, मध्य प्रदेश: जिला अस्पताल में फर्जी डिग्री के आधार पर चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाने के मामले में जबलपुर की जिला अदालत ने आरोपी शुभम अवस्थी के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जेएमएफसी पलक श्रीवास्तव की अदालत ने शिवसेना के प्रांतीय उपाध्यक्ष शैलेन्द्र बारी द्वारा दायर आपराधिक परिवाद पर सुनवाई के बाद दिया।
क्या है पूरा मामला?
परिवादी शैलेन्द्र बारी ने अधिवक्ता परितोष गुप्ता के माध्यम से दायर परिवाद में आरोप लगाया कि शुभम अवस्थी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर की फर्जी आयुर्वेद स्नातक (BAMS) डिग्री के आधार पर जिला अस्पताल में चिकित्सक पद प्राप्त किया था।
- शुभम अवस्थी ने शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, जबलपुर से पढ़ाई करने का झूठा दावा किया।
- इस फर्जी डिग्री के आधार पर मध्य प्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड, भोपाल से रजिस्ट्रेशन नंबर 56970 प्राप्त किया।
- जांच में पाया गया कि यह पंजीयन असल में डॉ. इरम जहां मंसूरी के नाम पर दर्ज था।
शिकायत के बावजूद नहीं हुई थी कार्रवाई
इस मामले की शिकायत पहले सिविल लाइन थाने में की गई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- पुलिस की निष्क्रियता के चलते शैलेन्द्र बारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
- हाईकोर्ट ने जिला अदालत को आदेश दिया कि 60 दिनों के भीतर मामले पर निर्णय लिया जाए।
कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
अदालत ने कहा कि यह मामला गंभीर प्रकृति का है और इसमें संज्ञेय अपराधों की धाराएं लागू होती हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया कि शुभम अवस्थी के खिलाफ निम्नलिखित धाराओं के तहत FIR दर्ज की जाए:
- धारा 420 – धोखाधड़ी
- धारा 467 – कूटरचित दस्तावेज तैयार करना
- धारा 471 – फर्जी दस्तावेजों का उपयोग
- धारा 120B – आपराधिक षड्यंत्र
- मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम की धारा 24(2)
- मप्र चिकित्सा शिक्षा अधिनियम की धारा 8(1) व 8(2)
कोर्ट ने पुलिस को दिए जांच के निर्देश
अदालत ने सिविल लाइन पुलिस को निर्देश दिया कि वे शुभम अवस्थी के खिलाफ FIR दर्ज कर पूरी जांच रिपोर्ट 5 अप्रैल 2025 तक अदालत में प्रस्तुत करें।
क्या है धारा 156(3)?
सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत न्यायालय पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध की जांच के लिए निर्देशित कर सकता है। इस मामले में भी कोर्ट ने इसी धारा के तहत FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
आरोपी शुभम अवस्थी की सफाई
डॉ. शुभम अवस्थी ने NDTV से बात करते हुए कहा कि 2020-21 में जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी, तब उन्होंने 10 महीने जिला अस्पताल में सेवा दी।
“जब अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था, तब मैंने अस्पताल में लगातार ड्यूटी की। मेरा काम सिर्फ कोविड सैंपल लेना और लैब में भेजना था, न कि मरीजों का इलाज करना।”
उन्होंने यह भी कहा कि अभी कोर्ट ने पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं, इसलिए मुझे ‘फर्जी डॉक्टर’ कहना उचित नहीं है। जांच के बाद कोर्ट जो भी निर्णय देगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा।
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