पाकिस्तान का दबाव में फैसला चीनियों की सुरक्षा पर खर्च करेगा 45 अरब रुपये

इस्लामाबाद

पाकिस्तान के बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांत में बीते सालों में चीनी नागरिकों को टारगेट करते हुए कई हमले हुए हैं। इसके अलावा ग्वादर पोर्ट समेत चीन के सहयोग से बनने वाली कई परियोजनाओं को भी टारगेट किया गया है। इन हमलों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। इसे लेकर चीन की ओर से पाकिस्तान पर दबाव भी था कि वह ऐक्शन ले ताकि उसके नागरिकों की जान और माल की रक्षा की जा सके। अब चीन के दबाव के बीच पाकिस्तान ने बड़ा फैसला लिया है। पाकिस्तान ने सैन्य बलों के लिए अतिरिक्त 45 अरब रुपये के बजट को मंजूरी प्रदान की है।

इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में चीनी व्यापारिक हितों की रक्षा करना और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ को बरकरार रखने के लिए सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने ईसीसी बैठक की अध्यक्षता की। कैबिनेट के प्रस्ताव के अनुसार विभिन्न उद्देश्यों के लिए सेना को 35.4 अरब रुपये और नौसेना को 9.5 अरब रुपये आवंटित किए जाएंगे। पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार ईसीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए पहले से ही अधिकृत रक्षा सेवा परियोजनाओं में 45 अरब रुपये के अतिरिक्त अनुदान के लिए रक्षा प्रभाग के आवेदन का मूल्यांकन किया और स्वीकार किया।

जून में बजट को मंजूरी मिलने के बाद से यह सैन्य बलों के लिए दिया गया दूसरा सबसे बड़ा अतिरिक्त अनुदान है। इससे पहले, ईसीसी ने ऑपरेशन आज़म-ए-इस्तेहकम के लिए 60 अरब रुपये प्रदान किए थे। ये पूरक अनुदान 2.127 ट्रिलियन रुपये के रक्षा बजट से अधिक है। ईसीसी ने विशेष सुरक्षा प्रभाग दक्षिण के लिए 16 अरब रुपये प्रदान किए, जिसपर दक्षिणी क्षेत्रों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी है। इस तरह पाकिस्तान की सेना पर कंगाली के दौर में चीनी नागरिकों और उसके प्रतिष्ठानों की रक्षा के नाम पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *