Manufacturing of artificial organs starts in AIIMS, disabled patients will get convenience
एम्स भोपाल शरीर के निचले हिस्से के अंगों का निर्माण करने वाला पहला सरकारी संस्थान बना। बाजार में इन कृत्रिम अंगों की कीमत लगभग 15,000 से 20,000 रुपये है, जबकि एम्स भोपाल उन्हें 1,000 रुपये से भी कम में उपलब्ध कराता है।
भोपाल । अपंग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एम्स भोपाल ने एक नया कदम उठाया है। एम्स भोपाल के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग ने शरीर के निचले हिस्से के कृत्रिम अंगों का निर्माण शुरू कर दिया है। इन कृत्रिम अंगों का पहला बैच तीन जुलाई को एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर डाॅ. अजय सिंह ने जरूरतमंद मरीजों को वितरित किया। प्रो. सिंह ने विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि अगर मेरे प्रयासों से उनके जीवन में थोड़ा भी बदलाव आ सकता है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि है।
बाजार से कम रेट में मिल रहे कृत्रिम अंग
बाजार में इन कृत्रिम अंगों की कीमत लगभग 15,000 से 20,000 रुपये है, जबकि एम्स भोपाल उन्हें 1,000 रुपये से भी कम में उपलब्ध कराता है। यह पहल समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को सुलभ बनाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। हमारा प्रयास होगा कि ऐसे व्यक्तियों को सशक्त बनाकर समाज में उन्हें समुचित स्थान दिलाया जा सके। दुर्घटना, डायबिटीज, पेरिफेरल वेस्कुलर बीमारी के कारण लोग अपना अंग गंवा देते हैं। इस तरह 85 प्रतिशत ऐसे मामले होते हैं जिसमें शरीर के निचले हिस्से को काटकर निकालना पड़ता है।
एकमात्र सरकारी संस्थान
एम्स भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विट्ठल प्रकाश पुरी ने बताया कि इस सुविधा के साथ हम यहां इलाज करा रहे मरीजों को सशक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के साथ एम्स भोपाल मध्य भारत में यह महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र सरकारी संस्थान बन गया है। यह अंगहीन व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चिकित्सा उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए एम्स भोपाल की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।