चीन बढ़ाने वाला है इंडिया की टेंशन? इस पार्टनर के साथ खिचड़ी पकाने की फिराक में ‘ड्रैगन


Is China going to increase India’s tension? Dragon is planning to cook khichdi with this partner

ड्रैगन की ओर से फ्रांस को रिझाना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भारत के साथ फ्रांस के रिश्ते अच्छे रहे हैं. यूरोप में दोनों देश एक-दूसरे के अहम साझेदार समझे जाते हैं.

चीन आने वाले समय में इंडिया की टेंशन बढ़ा सकता है. यूरोप में भारत के अहम पार्टनर फ्रांस पर फिलहाल वह नजरें गड़ाए है. ड्रैगन वहां न सिर्फ नई संभावनाओं की तलाश में है बल्कि कूटनीतिक खिचड़ी पकाकर भी वह बड़े लक्ष्य हासिल करने की फिराक में है. आइए, जानते हैं इस बारे में:


चीन के इस प्लान को लेकर दुनिया में तब कयास लगाए जाने लगे, जब वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूरोप के तीन देशों (सर्बिया, हंगरी और फ्रांस) के दौरे पर गए थे. हाल ही में फ्रांस पहुंचे शी जिनपिंग का वहां जबरदस्त स्वागत हुआ. विस्तारवादी नीति पर चलने वाला ड्रैगन चाहता है कि फ्रांस उसका एक अहम साझेदार बने, जिसके लिए वह उसे लुभाना चाहता है.

France को ‘पाले’ में लेना चाहता है चीन

ड्रैगन की ओर से फ्रांस को रिझाना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भारत के साथ फ्रांस के रिश्ते अच्छे रहे हैं. यूरोप में दोनों देश एक-दूसरे के अहम साझेदार समझे जाते हैं. ऐसे में फ्रांस अगर चीन के बहकावे में आकर उसका समर्थन करेगा तब भारत को नुकसान पहुंचने की आशंका है.


फ्रांस के रास्ते क्या चाहता है ‘ड्रैगन’?

एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन असल में चाहता है कि यूरोप हिस्सों में बंट जाए और फिर वह एक-एक करके वहां के देशों को साझेदार (बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट) बनाए, जबकि फ्रांस किसी भी सूरत में रूस को मनाकर युद्ध (रूस-यूक्रेन) रुकवाना चाहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रूस से पूरे यूरोप में जो नैचुरल गैस और पेट्रोल आदि जाता था, वह फिलहाल आसानी से नहीं जा पा रहा है. नतीजतन इनके दाम आसमान छू रहे हैं और इसका सीधा असर बढ़ती महंगाई और सुस्त अर्थव्यवस्था पर नजर आ रहा है.


न डील, न नतीजा…फिर भी दौरा खास!

इतना ही नहीं, मौजूदा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि फ्रांस चीन के साथ मिलकर आगे बड़ा ट्रेड नेटवर्क पैदा करना चाहेगा. हालांकि, ताजा घटनाक्रम के जरिए दोनों देशों ने दुनिया के सामने यह संदेश दे दिया कि उनके पास विकल्प हैं. ऐसे में शी जिनपिंग का यह दौरा बड़ा अहम माना गया. हालांकि, उस दौरान कोई ठोस नतीजा तो नहीं निकला और न ही कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ मगर दोनों देशों ने आपसी बुनियादी समझ बनाने का प्रयास किया. ऐसे में आने वाले समय में दोनों देशों के संबंध अच्छे हो सकते हैं.

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