आकांक्षी या बेरोजगार?—MP सरकार के आंकड़े खोलते हैं रोज़गार का कड़वा सच.


Aspirants or Unemployed? — MP Government Data Reveals the Bitter Truth of Employment.
Special Correspondent, Bhopal, MP Samwad.
In BJP-ruled Madhya Pradesh, over 25.68 lakh job seekers, including engineers, doctors, and MBAs, await government jobs. Official data shows declining registrations since 2023, closure of 80 private engineering colleges, and fluctuating placements. Opposition calls it a grim reflection of the state’s employment crisis.
MP संवाद, भोपाल: आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भाजपा शासित मध्य प्रदेश में 25.68 लाख से अधिक पंजीकृत नौकरी चाहने वाले हैं, जिनमें 86,000 से अधिक इंजीनियर, 4,800 से ज्यादा एमबीबीएस डॉक्टर और 18,800 एमबीए शामिल हैं, जो सरकारी नौकरियों की तलाश में हैं।
ये आंकड़े हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एवं पूर्व गृह मंत्री बाला बच्चन के सवाल के जवाब में सामने आए। बच्चन ने सरकार से दसवीं पास से लेकर स्नातकोत्तर और पेशेवर योग्यता वाले युवाओं का ब्यौरा मांगा था।
कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री गौतम टेटवाल ने बताया कि 30 जून 2025 तक एमपी रोजगार पोर्टल पर सबसे अधिक पंजीकरण स्नातकों (8.3 लाख) के हैं, इसके बाद 12वीं पास (6.22 लाख) और स्नातकोत्तर (2.38 लाख) हैं।
जातिगत आधार पर 10.46 लाख ओबीसी, 6.34 लाख सामान्य वर्ग, 4.69 लाख एससी और 4.18 लाख एसटी वर्ग के उम्मीदवार पंजीकृत हैं। राज्य की आधी से ज्यादा आबादी ओबीसी है, जबकि आदिवासी 22% और एससी 16% हैं।
मंत्री के अनुसार, पंजीकरण का उच्चतम स्तर 2023 में (33.13 लाख) दर्ज हुआ। 2019 में यह 31.54 लाख, 2022 में 30.64 लाख, 2024 में 26.18 लाख और 2025 में अब तक 25.68 लाख रहा है।
प्लेसमेंट में 2018-19 में सबसे ज्यादा 1.76 लाख ऑफर लेटर जारी हुए, जबकि 2019-20 में सबसे कम सिर्फ 4,219 रहे। 2021-22 में 1.21 लाख और 2024-25 में अब तक 78,800 ऑफर लेटर जारी हुए हैं।
टेटवाल ने बताया कि कई पंजीकृत युवा पहले से कार्यरत हैं और बेहतर अवसर खोज रहे हैं, इसलिए सरकार उन्हें “बेरोजगार” की जगह “आकांक्षी” कह रही है। इन पंजीकृत उम्मीदवारों में 4,811 एमबीबीएस डॉक्टर, 86,000 इंजीनियर और 18,800 एमबीए शामिल हैं।
सरकारी आंकड़ों से यह भी सामने आया कि पिछले 10 साल में मध्य प्रदेश में 80 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज और 46 निजी पॉलिटेक्निक बंद हो गए हैं, संभवतः इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में घटती रुचि के कारण।
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि ये आंकड़े “विकास की गंभीर स्थिति” को उजागर करते हैं और सवाल उठाया कि 2018 से 2025 के बीच 62.75 लाख से अधिक पंजीकरण के बावजूद 2023 में 33.13 लाख से घटकर 2025 में 25.68 लाख क्यों रह गए।