साइबर अपराध में डूबा MP! 1054 करोड़ की ठगी, वसूली सिर्फ 0.18%.


MP Drowning in Cyber Crime! ₹1,054 Crore Duped, Recovery Only 0.18%.
Shobhit Chaturvedi, Cyber Security Expert, Bhopal, MP Samwad.
Madhya Pradesh lost ₹1,054 crore to cyber crimes in the last four years, but police recovered only 0.18%. Youths are primary targets via social media, and the justice delivery rate is plummeting. The state faces a digital emergency with a widening gap between rising fraud and weak enforcement.
MP संवाद, भोपाल: मध्य प्रदेश के निवासियों को पिछले चार वर्षों में साइबर धोखाधड़ी के चलते 1,054 करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, लेकिन राज्य पुलिस 0.2% से भी कम राशि की ही वसूली कर पाई है। यह स्थिति राज्य में साइबर अपराधों की खतरनाक बढ़ोतरी और उन्हें रोकने की सरकारी क्षमता के बीच गंभीर अंतर को उजागर करती है।
1 मई 2021 से 13 जुलाई 2025 के बीच फिशिंग, ओटीपी धोखाधड़ी, नौकरी के झांसे, फर्जी कस्टमर केयर नंबर और सोशल मीडिया धोखाधड़ी जैसे मामलों के चलते नागरिकों को कुल 1,054 करोड़ रुपये का चूना लगा। पुलिस द्वारा अब तक सिर्फ 1.94 करोड़ रुपये ही बरामद किए जा सके, जो कुल नुकसान का केवल 0.18% है।
यह चौंकाने वाला खुलासा विधानसभा में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के प्रश्न के उत्तर में सामने आया, जिसे राज्य के गृह विभाग ने प्रस्तुत किया। जयवर्धन सिंह ने इस स्थिति को “साइबर आपातकाल” करार देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री देश को डिजिटल बनाने की बात करते हैं, लेकिन राज्य एक प्रतिशत राशि भी रिकवर नहीं कर पा रहा है।“
विस्तृत जांच में सामने आया कि इस अवधि में 105 करोड़ रुपये संदिग्ध खातों में फ्रीज किए गए, लेकिन उनमें से भी केवल एक छोटा हिस्सा ही बरामद हुआ। 2020 से अब तक राज्य में साइबर अपराधों से जुड़ी 1,193 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से 585 मामलों में ही चालान दाखिल हो सका है; बाकी मामले या तो लंबित हैं, जांचाधीन हैं या खारिज कर दिए गए हैं।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी साइबर अपराधों में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। पिछले चार वर्षों में साइबर अपराधों के 37% से 53% मामले सोशल मीडिया आधारित रहे।
- 2022 में 1,021 में से 542,
- 2023 में 927 में से 428,
- 2024 में 1,082 में से 396, और
- 2025 में, अब तक दर्ज 511 मामलों में से 242 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप) से जुड़े हैं।
इनमें से अधिकांश मामलों में साइबर बुलीइंग, यौन शोषण, फेक प्रोफाइल और ब्लैकमेलिंग शामिल हैं।
युवा सबसे अधिक प्रभावित वर्ग हैं।
- 2022 में पीड़ितों में 70% युवा थे,
- 2023 में 76%,
- 2024 में 65%
- और 2025 में अब तक 67%।
लेकिन न्याय अब भी बहुत दूर है।
केस सॉल्व होने की दर लगातार गिर रही है —
- 2022 में 70%,
- 2023 में 66%,
- 2024 में 47%,
- और 2025 में महज 27%।
भाजपा विधायक रीति पाठक के प्रश्न के उत्तर में राज्य सरकार ने बताया कि बैंकिंग फ्रॉड और इसी तरह की ठगी साइबर अपराध का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा हैं।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य की साइबर पुलिस डिजिटल अपराधियों की रफ्तार, नेटवर्क और तकनीकी चतुराई के मुकाबले में पिछड़ रही है। जब तक प्रशिक्षण, संसाधनों और जवाबदेही को प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक साइबर अपराध और न्याय के बीच की खाई और बढ़ती जाएगी।