logo mp

खाद नहीं, गाड़ियों में गया किसान फंड! कैग रिपोर्ट में खुलासा.

0
Fertilizer Development Fund meant for farmers in Madhya Pradesh misused for vehicles and fuel, revealed in CAG audit report 2024.

No Fertilizer, Farmer Fund Fueled Vehicles! Shocking Revelation in CAG Report.

Harishankar Parashar, Special Correspondent, Katni, MP Samwad.

CAG’s audit revealed that over 90% of the ₹5.31 crore Fertilizer Development Fund meant for farmers in Madhya Pradesh was spent on vehicle fuel and maintenance. Only ₹5.10 lakh went towards actual farmer support. The misuse exposes systemic negligence across multiple governments between 2017 and 2022.

MP संवाद, विधानसभा में गुरुवार को पेश की गई कैग (CAG) रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की एक और बड़ी लापरवाही उजागर कर दी है। किसानों के कल्याण के लिए बनाए गए फर्टिलाइज़र डेवलपमेंट फंड (FDF) का 90% हिस्सा पांच वर्षों (2017-18 से 2021-22) के दौरान गाड़ियों के पेट्रोल, मेंटेनेंस और ड्राइवरों की तनख्वाह पर खर्च कर दिया गया।

इस फंड का उद्देश्य किसानों को संकट में मदद, प्रशिक्षण देना और PACS (प्राथमिक कृषि साख समितियों) को मजबूत करना था, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

90% पैसा गाड़ियों पर फूंका गया

रिपोर्ट के अनुसार, ₹5.31 करोड़ में से ₹4.79 करोड़ केवल गाड़ियों के इस्तेमाल, रखरखाव और वेतन में खर्च कर दिए गए। जबकि किसानों के प्रशिक्षण, खाद पर सब्सिडी या कृषि उपकरण देने जैसे महत्वपूर्ण कामों पर महज ₹5.10 लाख खर्च किए गए।

राज्य स्तर पर खर्च हुए ₹2.77 करोड़ में से अकेले 20 गाड़ियों पर ₹2.25 करोड़ उड़ा दिए गए।

किसानों पर पड़ा सीधा आर्थिक बोझ

कैग ने यह भी बताया कि मार्कफेड ने खाद आपूर्तिकर्ताओं से मिलने वाली छूट किसानों तक नहीं पहुंचाई, जिससे उन्हें ₹10.50 करोड़ का सीधा नुकसान हुआ। वहीं रबी सीजन 2021-22 में महंगी खाद खरीदकर सस्ती बेचे जाने के कारण मार्कफेड को ₹4.38 करोड़ का घाटा हुआ।

अन्य उद्देश्यों को किया गया नजरअंदाज़

हालांकि सहकारिता विभाग ने सफाई दी कि यह खर्च वितरण निगरानी और निरीक्षण के लिए हुआ, लेकिन कैग ने इसे खारिज करते हुए कहा कि फंड का अधिकांश हिस्सा केवल वाहनों पर खर्च किया गया, जबकि असली उद्देश्यों की अनदेखी की गई।

बिना डेटा के तय हुई खाद की जरूरत

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने खाद की जरूरत का अनुमान लगाने के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं अपनाया। न जिला स्तर से जानकारी ली गई, न मिट्टी की स्थिति का अध्ययन हुआ और न ही फसलवार विश्लेषण। पुराने वर्षों की खपत को ही आधार मान लिया गया।

2017-22 के बीच सब्जियों और बागवानी फसलों के रकबे का कभी आंकलन ही नहीं हुआ, जबकि इनमें खाद की खपत होती रही।

तीन सरकारें, एक लापरवाही

यह रिपोर्ट तीन सरकारों की कार्यकाल की समीक्षा करती है — दो बार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा शासन, और 15 महीने की कमलनाथ सरकार। बावजूद इसके, किसानों के लिए बना फंड केवल प्रशासनिक आराम और फील्ड गाड़ियों के पेट्रोल में स्वाहा होता रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

All Rights Reserved for MP Samwad 9713294996 | CoverNews by AF themes.