अगले महीने मंत्रिमंडल फेरबदल तय
मप्र में अगले महीने मंत्रिमंडल फेरबदल लगभग तय माना जा रहा है। यह फरवरी में होना था, लेकिन हाईकमान की हरी झंडी नहीं मिल सकी। अब खबर आ रही है कि कर्नाटक चुनाव के तत्काल बाद पार्टी हाईकमान का पूरा फोकस मप्र सहित तीन राज्यों पर होगा। पिछले दो महीने में पार्टी हाईकमान ने मप्र के प्रभारी और सह संगठन मंत्री सहित अपने सूत्रों से मप्र की जमीनी हकीकत का मूल्यांकन कर लिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मप्र के दौरे पर कर लिये हैं। अब मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत दे दिये गये हैं। चर्चा है कि जिन मंत्रियों को अगला चुनाव नहीं लड़ाना है उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया जाएगा। बड़ी संख्या में नये चेहरों को मौका मिल सकता है। सबसे अधिक नुकसान सिंधिया समर्थकों का हो सकता है। सर्वे और रिपोर्ट के आधार पर लगभग आधा दर्जन सिंधिया समर्थक मंत्री कैबिनेट से बाहर हो सकते हैं।
भाजपा में उमा भारती का विकल्प धीरेन्द्र शास्त्री!
भाजपा को लंबे समय बाद बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के रूप में उमा भारती का विकल्प मिल गया है। खबर आ रही है कि भाजपा ने धीरेन्द्र शास्त्री की लोकप्रियता को भुनाने की योजना बनाना शुरु कर दिया है। धीरेन्द्र और उमा भारती में बहुत सी समानताएं हैं। दोनों बुंदेलखंड के हैं। दोनों सामान्य परिवार से हैं। दोनों की लौकिक पढाई बहुत कम हुई है। दोनों कथावाचक से शुरु हुए हैं। दोनों के पास पर्याप्त आध्यात्मिक ज्ञान है। दोनों छोटी उम्र में देश विदेश में लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गए हैं। संघ ने उमा भारती को राम मंदिर आन्दोलन से जोड़ा था। धीरेन्द्र शास्त्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “हिन्दू राष्ट्र” के एजेंडे को थाम लिया है। राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में धीरेन्द्र शास्त्री भाजपा के घोषित अघोषित स्टार प्रचारक होंगे। यह भी संभव है कि भारत को “हिन्दु राष्ट्र” बनाने संसद में आवाज बुलंद करने के नाम पर धीरेन्द्र शास्त्री को भाजपा के टिकट पर संसद भेजने की तैयारी हो। यदि ऐसा होता है तो उमा भारती की तरह धीरेन्द्र शास्त्री भी खजुराहो से भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। बागेश्वर धाम इसी लोकसभा क्षेत्र में आता है।
मप्र के पूर्व मुख्य सचिवों का हाल
मप्र ऐसा राज्य रहा है जहां पूर्व मुख्य सचिवों को बहुत सम्मान से देखा जाता था। उनकी प्रशासनिक क्षमताओं का लोहा माना जाता रहा है। रिटायरमेंट के बाद उन्हें सम्मान देने राज्य की संस्थाओं के नाम उनके नाम पर रखे गये। उनके नाम प्रशासनिक अवार्ड भी दिये जाते रहे। लेकिन अब हालात बदल गये हैं। पूर्व मुख्य सचिवों को सम्मान मिलना तो छोड़िए उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलना मुश्किल हो गया है। पिछले चार मुख्यसचिवों की बात की जाए तो परशुराम को सुशासन संस्थान और एंटोनी डिसा को रैरा से लगभग बेइज्जत करके हटाया गया। आज इन दोनों का कोई नाम लेने वाला नहीं है। एसआर मोहंती की विभागीय जांच के नाम पर पेंशन रोक दी गई है। एम गोपाल रेड्डी पर जल संसाधन विभाग की ठेकेदार कंपनी मेंटाना से मोटी रिश्वत लेने के आरोप हैं। ईडी उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी कर चुकी है।
एनएचएम में 20 करोड़ का कथित घपला!
एनएचएम यानि नेशनल हेल्थ मिशन में एक साफ्टवेयर को लेकर लगभग 20 करोड़ के घपले घोटाले की चर्चा तेज है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग की सभी ऑनलाइन जानकारियों को एक बटन पर लाने के लिये यह साफ्टवेयर बनवाया जा रहा है। मप्र की स्थानीय कंपनियों ने लगभग 5 करोड़ का ऑफर दिया था। एनएचएम के जिम्मेदार अफसरों ने माल कूटने के लालच में जानबूझकर ऐसी शर्तें शामिल की जिन्हें सिर्फ दो कंपनी ही पूरा कर सकती थी। इन बेमतलब की शर्तों को आधार बनाकर मप्र की कंपनियों को बाहर करके 5 करोड़ का यह काम 26.99 करोड़ में दिया गया है। एनएचएम में अफवाह तेज है कि इस वर्क आर्डर के लिये 20 करोड़ की बंदरबांट हुई है। इस टेंडर प्रक्रिया में बहुत से झोल साफ नजर आ रहे हैं। इस घोटाले की शिकायत दस्तावेजों के साथ लोकायुक्त और हाईकोर्ट में करने की तैयारी है।
मप्र में सौ से अधिक मंत्री
मप्र शायद पहला राज्य हैं जहां अब तक सौ से अधिक मंत्री हूटर बजाते घूम रहे हैं। निगम मंडलों व प्राधिकरणों में पद के साथ मंत्री पद का दर्जा देने का क्रम अभी जारी है। विधानसभा चुनावों को देखते हुए मप्र में मंत्री पद रेबडियों की तरह बांटे जा रहे हैं। अभी तक 70 से अधिक भाजपा नेताओं व संघ से जुड़े लोगों को मंत्री पद की खैरात मिल चुकी है। जबकि शिवराज मंत्रिमंडल में मात्र 30 मंत्री ही हैं। खास बात यह है कि इन 70 मंत्री दर्जा प्राप्त लोगों में वे 7 सिंधिया समर्थक भी हैं जिन्होंने कांग्रेस से बगावत करके भाजपा की सरकार बनवाई थी। लेकिन उपचुनाव में बुरी तरह हारने के बाद इन सभी को निगम अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। चर्चा है कि अभी लगभग तीन दर्जन से अधिक लोग मंत्री दर्जा लेने की जुगाड में भाजपा और संघ कार्यालयों में सक्रिय हैं।
किसे मिलेगी मुरैना पुलिस अधीक्षक की कुर्सी!
चंबल संभाग के सबसे संवेदनशील जिले मुरैना में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पिछले बीस दिन से खाली पड़ी है। तमाम शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना में आशुतोष बागरी को एसपी पद से हटाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन मुरैना एसपी के लिये किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। चर्चा है कि पहले कटनी एसपी से हटाये गये सुनील जैन को मुरैना भेजने का प्रस्ताव आया, लेकिन इस नाम पर सहमति नहीं बन पाई। अब चर्चा है कि मुरैना के एडीशनल एसपी रायसिंह नरवरिया को ही मुरैना की कमान मिल सकती है। दरअसल 2 मई को दिल्ली में राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति के लिये बैठक है। इसमें नरवरिया का आईपीएस बनना तय है। वर्तमान में मुरैना एसपी का चार्ज नरवरिया के पास ही है। उनकी छवि बेहतर है। यह भी संभव है कि 2 मई के बाद नरवरिया या उनके साथ आईपीएस प्रमोट होने वाले किसी अन्य अफसर को मुरैना एसपी की कुर्सी मिल जाए!
और अंत में…!
मप्र भाजपा विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर खासे परेशान रहते हैं। उन्हें डर बना रहता है कि उनके क्षेत्र में पार्टी का दूसरा नेता पनपना नहीं चाहिए। भोपाल में एक बड़बोले विधायक ने अपनी ही पार्टी की महिला नेत्री को दूरभाष पर हड़का दिया है। किस्सा अंबेडकर जयंती का है। जब महिला नेत्री ने समर्थकों के जरिए अपने विधानसभा क्षेत्र के किनारे पर एक बड़़ा आयोजन करवा दिया। जैसे ही यह खबर विधायक तक पहुंची तो उन्होंने अपने समर्थकों के सामने ही महिला नेत्री को साफ बोल दिया कि मेरे क्षेत्र की ओर आंख उठाकर भी मत देखना। आगे से जो भी कार्यक्रम करना हो तो मुझसे पूछकर करें। महिला नेत्री ने सफाई में कहा कि कार्यक्रम उन्होंने नहीं करवाया, समर्थकों ने कर दिया। उन्होंने गलती से बैनर में फोटो बड़ी लगवा दी। विधायक ने महिला नेत्री से कहा कि मुझे राजनीति मत सिखाओ। यहां बता दें कि महिला नेत्री प्रदेश पदाधिकारी हैं। पहले विधायक भी वही जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, जो महिला नेत्री संभाल रही हैं।